Categories: धर्म

क्यों सावन के महीने में भगवान शिव करते हैं पृथ्वी पर वास? इसलिए होती है सोमवार व्रत रखने से मनचाही इच्छा पूरी

Lord Shiva Lives On Earth During Sawan Month: माता सती का दूसरा जन्म माता पार्वती के रूप में पृथ्वी पर हुआ, तो उन्होंने शिव को अपने पति के रूप में दोबारा पाने के लिए बेहद कठोर तपस्या की, जिसके बाद भगवान शंकर जी ने भी माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार्य किया। कहा जाता है कि सावन के पावन महीने में ही भगवान शिव जी ने पार्वती जी को पत्नी के रूप में स्वीकार्य किया था। यही कारण है कि हर साल सावन (Sawan 2025) के पावन महीने में भगवान शंकर जी माता पार्वती जी के साथ पृथ्वी पर आते हैं और अपने ससुराल हरिद्वार के पास कनखल में दक्षेश्वर के रूप में विराजमान होते हैं। ऐसे में ये भी माना जाता है, सावन के महीने में जो कोई भी भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करता है उन्हें मनचाहा साथी और प्रेमी मिलता है, साथ ही दाम्पत्य जीवन भी सुखमय होता है

Published by chhaya sharma

Lord Shiva Lives On Earth During Sawan Month: सावन का पावन महीना शुरू हो चुका है और सावन का महीना शिव के भक्तों के लिए बेहद ज्यादा खास होता है, इसी वजह से Sawan 2025 के महीने में शिवभक्त व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और कावड यात्रा भी करते हैं। मान्यता है कि सावन के इस पावन महीने में खुद शिव जी धरती पर आते है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर क्यों आते हैं, हां, तो आज हम आपको यहां बताने जा रहे है, कि आखिर सावन का महीना भगवान शिव जी के लिए क्यों खास है और शिव जी सावन के महीने में पृथ्वी पर क्यों वास करते हैं। 

 क्यों आते है सावन (Sawan 2025) के महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर

दरअसल, माता सती के पिता दक्ष बहुत बड़े राजा थे, वह नारायण भगवान के बहुत बड़े भक्त भी थे। ऐसे में एक दिन राज दक्ष ने अपने भव्य महल में बहुत बड़ा यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने सभी बड़े और छोटे देवी-देवताओँ, सभी ऋषियों-मुनियों और बड़े- बड़े राजाओं और महाराजाओं को भी आमंत्रित किया, लेकिन दक्ष ने अपने बेटी सती के पति शिव जी (Shiv ji) को निमंत्रण नहीं दिया, लेकिन जब माता सती को अपने पिता के द्वारा कराए जाने वाले भव्य यज्ञ के बारे में पता लगा, तो वह बेहद खुश हो गई और अपने पति शइव जी से पिता द्वारा कराए जाने वाले भव्य यज्ञ में जाने की जिद्द करने लगी। लेकिन  भगवान शंकर ने यज्ञ में जाने के लिए माना कर दिया और कहा और माता सती को भी समझाया की बिना निमंत्रण के कहीं जाना अच्छा नहीं होता है।

माता सती ने नहीं मानी भगवान शिव की बात 

लेकिन माता सती ने भगवान शंकर जी की बात नहीं मानी और अपने पति की आज्ञा का पालन ना करते हुए शिव जी (Shiv ji)  के बिना ही अपने पिता के घर यज्ञ में पहुंच गई और अपने पिता के घर जाकर जब माता सती ने देखा की भव्य यज्ञ में सभी वी-देवताओँ को बुलाया गया है, लेकिन महादेव को निमंत्रण नहीं दिया गया, जिसके बाद माता सती ने अपने पिता से कई सवाल किए, लेकिन राजा दक्ष ने फिर भी भगवान शिव का लगातार अपमान करते रहे, जिसके बाद माता सती को बेहद क्रोध आ गया और उन्होंने यज्ञ में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए, लेकिन यज्ञ में कूद से पहले माता सती ने प्रण लिया कि जब उनका जन्म दोबारा होगा और वह महादेव की पत्नी बनने के लिए कठोर तपस्या करेंगी।

Related Post

भगवान शंकर का क्रोध देख देवी-देवताओं में मचा हड़कंप

लेकिन जब शिव जी को पता लगा कि माता सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर खुद को दाह कर लिया है, तब वह क्रोध से भर उठे और उन्होंने अपने गण वीरभद्र को दक्ष के यज्ञ को विध्वंस करने का आदेश दिया, जिसके बाद वीरभद्र ने राजा दक्ष के यज्ञ का विध्वंस कर दिया और दक्ष का सिर भी धड़ से अलग कर दिया और उसे उसी भव्य यज्ञ कुंड में डाल दिया। भगवान शंकर का ऐसा क्रोध देखकर सभी देवी-देवताओं में हड़कंप मच गया, जिसक बाद खुद ब्रह्मा जी ने शिव से दक्ष को क्षमादान देने का आग्रह किया, इसके बाद शिव जी (Shiv ji) ने भी दक्ष को माफ करा, लेकिन समस्या ये थी की दक्ष का सर यज्ञ कुंड में स्वाहा हो चुका था, तो ऐसे में दक्ष को कैसे जीवित किया जाए। जिसके बाद यह तय किया गया की बकरे के सिर को काटकर दक्ष के धड़ पर लगाया जायेगा।  जीवित होने के बाद दक्ष ने शिव जी से आग्रह किया कि वह एक शिवलिंग स्थापित करे और पूरे सावन मास यहीं पर रहे 

सावन के पावन महीने में पार्वती जी को बनाया था अपनी पत्नी 

इसके बाद जब माता सती का दूसरा जन्म माता पार्वती के रूप में पृथ्वी पर हुआ, तो उन्होंने शिव को अपने पति के रूप में दोबारा पाने के लिए बेहद कठोर तपस्या की, जिसके बाद भगवान शंकर जी ने भी माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार्य किया। कहा जाता है कि सावन के पावन महीने में ही भगवान शिव जी ने पार्वती जी को पत्नी के रूप में स्वीकार्य किया था। यही कारण है कि हर साल सावन (Sawan 2025) के पावन महीने में भगवान शंकर जी माता पार्वती जी के साथ पृथ्वी पर आते हैं और अपने ससुराल हरिद्वार के पास कनखल में दक्षेश्वर के रूप में विराजमान होते हैं। ऐसे में ये भी माना जाता है, सावन के महीने में जो कोई भी भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करता है उन्हें मनचाहा साथी और प्रेमी मिलता है, साथ ही दाम्पत्य जीवन भी सुखमय होता है

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

chhaya sharma

Recent Posts

बॉलीवुड मगरमच्छों से भरा…ये क्या बोल गईं दिव्या खोसला, T-Series के मालिक से तलाक पर भी तोड़ी चुप्पी

Divya Khossla News: दिव्या खोसला हाल में ऐसा स्टेटमेंट दिया है, जो बॉलीवुड के फैंस…

December 5, 2025

5 से 15 दिसंबर के बीच यात्रा करने वालों के लिए बड़ी खबर! IndiGo दे रहा रिफंड, ऐसे करें अप्लाई

IndiGo Operationl Crisis: IndiGo 500 उड़ानें रद्द! 5 से 15 दिसंबर के बीच यात्रा करने…

December 5, 2025

Shani Mahadasha Effect: शनि की महादशा क्यों होती है खतरनाक? जानें इसके प्रभाव को कम करने के उपाय

Shani Mahadasha Effects: शनि को न्याय का देवता और कर्मों का फल देने वाला ग्रह…

December 5, 2025

DDLJ के हुए 30 साल पूरे , लंदन में लगा ऑइकोनिक ब्रॉन्ज स्टैच्यू, फोटोज हुईं वायरल

DDLJ Completes 30 Years: फिल्म DDLJ के 30 साल पूरे होने पर लंदन के लीसेस्टर…

December 5, 2025