Kharmas 2025: हिंदू धर्म में खरमास को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. साल 2025 में खरमास की शुरुआत 15 दिसंबर से हो जाएगी. खरमास का प्रारंभ तक होता है जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं. सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ खरमास का समय शुरू हो जाता है. इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है.
गरुड़ पुराण के अनुसार खरमास के दौरान प्राण त्यागने पर सद्गति नहीं मिलती है, इसलिए महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह ने इच्छामृत्यु के वरदान का प्रयोग कर अपने प्राण खरमास में नहीं त्यागे थे, उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया.
खरमास के दौरान सूर्य देव और गुरु देव बृहस्पति की आराधना की जाती है. मान्यता है कि इस दौरान गुरु देव बृहस्पति के समक्ष भी सूर्य नतमस्तक हो जाते हैं. धनु राशि गुरु की राशि है. सूर्य अपने प्रभावशाली किरणों को नियंत्रित कर लेते हैं और गुरु देव बृहस्पति के सम्मान में झुक जाते हैं. इसीलिए खरमास के दौरान शुभ कार्य या नए नहीं किए जाते हैं.
खरमास में क्या करें ?
- खरमास के दौरान दान-पुण्य करना, देवों की आराधना करनी चाहिए.
- इस दौरान भगवान सूर्य और भगवान विष्णु जी की पूजा अर्चना करें,
- सूर्य को रोज नियम से अर्घ्य देना चाहिए.
- इस दौरान प्रतिदिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ विशेष फलदायी रहता है.
- साथ ही खरमास में ग्रहों को शांत करने के लिए रोज पूजा-पाठ करें.
सूर्य धनु राशि में दिसंबर के मध्य से जनवरी के मध्य तक रहते हैं, मकर संक्रांति के दिन सूर्य का राशि परिवर्तन होता है.
खरमास है अर्थ क्या है?
खरमास दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘खर’ जिसका मतलब है गधा जो आलस्य और धीमी गति का प्रतीक है, ‘मास’ का अर्थ है महीना, इस तरह खरमास का मतलब है, ऐसा महीना जिसमें ऊर्जा और शुभता कम हो जाती है. यह वह अवधि है जब सूर्य धनु और मीन राशि में रहता है. यह समय लगभग 30 दिनों का होता है.

