Karwa Chauth Ka Vrat: इस बार करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा. ये व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए काफी खास होता है. इस दिन पूजा में बहुत सी सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें से एक है मिट्टी का करवा जो इस व्रत में खास महत्व रखता है. महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए मिट्टी के करवे का इस्तेमाल करती हैं. तो आइए जानते हैं इसके पीछे जुड़े धार्मिक महत्व के बारे में.
मिट्टी के करवे से जल अर्घ्य देने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. धार्मिक मान्यता है कि करवा चौथ व्रत में मिट्टी के करवे का इस्तेमाल करने से ब्रह्मा जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. करवा चौथ पर मिट्टी के करवे से अर्घ्य इसलिए दिया जाता है क्योंकि ये पांचों तत्वों (मिट्टी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का प्रतीक होता है, जो मानव शरीर और दांपत्य जीवन में संतुलन बनाए रखता है. मिट्टी का करवा इन तत्वों के समन्वय को दर्शाता है. साथ ही, करवा चौथ के शुभ अवसर पर मिट्टी के करवे को मां देवी का भू प्रतीक माना जाता है और सुहागिन महिलाएं इस करवे से ही पूजा-अर्चना करती हैं.
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क्या कहती हैं पौराणिक मान्यताएं
हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले हर त्योहार का संबंध कहीं न कहीं पौराणिक मान्यताओं से जरूर होता है. ऐसे ही करवा चौथ के त्योहार के बारे में भी कुछ धार्मिक मान्यताएं हैं. जैसे पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता सीता और माता द्रौपदी ने भी करवा चौथ का व्रत रखते हुए चंद्रदेव को अर्घ्य देने के लिए मिट्टी के करवे का ही इस्तेमाल किया था, जिससे इस परंपरा का महत्व बढ़ गया है.
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