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Eid-e-Milad-un Nabi के मौके पर जानिए पैगंबर मुहम्मद से जुड़ी ऐसी बातें, जो आपने कभी न सुनी हों

Paigambar Muhammad Life: ईद-ए-मिलाद-उन-नबी वो त्यौहार है जिसे हर मुसलमान ईद की तरह ही मनाता है।  आपकी जानकारी के लिए बता दें, इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाता है।

Published by Heena Khan

Eid-e-Milad-un Nabi 2025: ईद-ए-मिलाद-उन-नबी वो त्यौहार है जिसे हर मुसलमान ईद की तरह ही मनाता है।  आपकी जानकारी के लिए बता दें, इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाता है। वहीँ अब ये त्यौहार कल यानी 5 सितंबर को मनाया जाएगा।  यह दिन पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। वहीँ आज हम आपको मुहम्मद साहब की कुछ ऐसी बातें बताने वाले हैं जो शायद ही आप जानते होंगे।  

मक्का से है गहरा ताल्लुक

आपकी जानकारी के लिए बता दें पैगंबर मुहम्मद का जन्म 570 ईस्वी में अरब के रेगिस्तानी शहर मक्का में हुआ था। पैगंबर साहब के पिता का निधन उनके जन्म से पहले ही हो गया था। जब वे 6 साल के थे, तब उनकी माता का भी निधन हो गया था। अपनी माता के निधन के बाद, पैगंबर मुहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे। उनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी अमीना था।

खुद करते थे घर का काम

पैगंबर की पत्नी आयशा के मुताबिक, पैगंबर घर के कामों में भी काफी मदद करते थे। घर के कामों के बाद, वो नमाज़ के लिए बाहर जाते थे। कहा जाता है कि वो बकरियों का दूध भी खुद निकालते थे और अपने कपड़े भी खुद ही धोते थे।

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मूर्ति पूजा के थे खिलाफ

इतना ही नहीं पैगंबर मोहम्मद मूर्ति पूजा या किसी भी तस्वीर की पूजा के सख्त खिलाफ थे। यही वजह है कि उनकी तस्वीर या मूर्ति कहीं नहीं मिलती। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस्लाम में मूर्ति पूजा वर्जित है। ऐसा कहा जाता है कि पैगम्बर मुहम्मद ने कहा था कि जो कोई उनकी तस्वीर बनाएगा, उसे अल्लाह द्वारा दंडित किया जाएगा।

फ़रिश्ते जिब्रील ने दी शिक्षा

पैगंबर मुहम्मद इस्लाम के सबसे महान पैगंबर और आखिरी पैगंबर माने जाते हैं। इस्लामिक ग्रंथ कुरान के मुताबिक , एक रात जब वो एक पहाड़ी गुफा में ध्यान कर रहे थे, तो फरिश्ते जिब्रील आए और उन्हें कुरान की शिक्षा दी जैसे ही जिब्रील ने अल्लाह का नाम लिया, मुहम्मद साहब ने संदेश पढ़ना शुरू कर दिया। इसे अल्लाह का संदेश मानकर, पैगंबर मुहम्मद जीवन भर इसे दोहराते रहे। उनके शब्दों को याद करके संजोकर रखा गया। पैगम्बर का मानना ​​था कि अल्लाह ने उन्हें अपना दूत चुना है इसलिए उन्होंने दूसरों को अल्लाह का संदेश देना शुरू कर दिया।

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