Durga Murti Visarjan Rules: शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों मां दुर्गा की भक्ति में लीन होने के होते हैं. मां दु्र्गा की आराधना करने से आपको सार कष्टों से मुक्ति मिलती है. इस दिन भक्तजन मां दुर्गा को भावमानी विदाई देते हैं और मूर्ति विसर्जन के साथ कलश विसर्जन का भी विशेष महत्व होता है. तो आइए जानते हैं कि विसर्जन के समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए और कलश विसर्जन की सही विधि क्या है?
क्या होता है मूर्ति विसर्जन?
नवरात्र के दौरान भक्त अपने घर या पंडाल में मां दुर्गा की स्थापना कर नौ दिनों तक पूजा, व्रत और आराधना करते हैं. दशमी को यह मान्यता है कि मां दुर्गा कैलश पर्वत की ओर प्रस्थान करती हैं और वापस पृथ्वी लोक से अपने धाम की ओर जाती हैं.
मूर्ति विसर्जन के समय न करें ये गलतियां
खंडित मूर्ति का विसर्जन
यदि किसी कारणवश मूर्ति खंडित हो जाए या विसर्जन से पहले उसमें कोई टूट-फूट हो जाए, तो भी उसका विसर्जन विधि-विधान और सम्मान के साथ करना आवश्यक होता है.
अखंड ज्योति का ध्यान
नवरात्रि के दौरान जलाई गई अखंड ज्योति को विसर्जन से पहले स्वयं से बुझाना उचित नहीं माना जाता.पूजा पूर्ण होने पर उसकी बत्ती को सावधानी से निकालकर सुरक्षित रख लें.शेष बचा हुआ तेल या घी अगली पूजा या हवन में प्रयोग में लाया जा सकता है.
मां से क्षमा प्रार्थना
विसर्जन से पूर्व मां दुर्गा की षोडशोपचार पूजा करना और उनसे पूजा-पाठ में हुई भूलों के लिए क्षमा मांगना अत्यंत आवश्यक माना जाता है.विसर्जन के समय संबंधित मंत्रों का उच्चारण करना भी शुभ फलदायी होता है.
कलश विसर्जन का महत्व
मूर्ति स्थापना के साथ ही कलश की स्थापना की जाती है, जिसे देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है.इसमें रखे नारियल, पत्ते और जल नवरात्रि भर देवी की ऊर्जा का केंद्र होते हैं.
कलश विसर्जन की विधि
मूर्ति विसर्जन से पहले कलश की पूजा करें.कलश का जल घर के तुलसी के पौधे या किसी पवित्र स्थान पर अर्पित करें.नारियल और पत्तियों को विसर्जन स्थल पर प्रवाहित करें.कलश को गंगाजल से शुद्ध कर पुनः घर में रखा जा सकता है, यह शुभ माना जाता है.
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धार्मिक महत्व
ऐसा विश्वास है कि यदि मूर्ति और कलश का विसर्जन सही रीति से किया जाए तो घर में सुख-समृद्धि, शांति और शक्ति बनी रहती है.साथ ही मां दुर्गा भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण कर परिवार को नकारात्मक ऊर्जा और संकटों से सुरक्षित रखती हैं.

