Marry in Islam: इस्लाम में चचेरे भाई-बहन से शादी करना जायज माना जाता है, कहां जाता है कि ऐसा करने से पारिवारिक रिश्ते मजबूत होते है और एकता बनी रहती है। इसके अलावा इस्लाम में चचेरे भाई-बहन से शादी इसलिए भी जायज है ताकी सामाजिक सद्भावना को बढ़ावा मिले। यह रिवाज सिर्फ मुस्लिम समुदाय तक सीमित नहीं है, इसे दुनिया के कई हिस्सों में जैसे अरबी, पाकिस्तान और मध्य पूर्वी देशों में बेहद आम है और इसे प्राथमिकता भी दी जाती है।
इस्लाम में सगे बहन से शादी क्यों नहीं कर सकते हैं?
इस्लामी शरिया के अनुसार सगे भाई-बहन से शादी नहीं कर सकते हैं और इसके बारे में कुरान और हदीस में भी स्पष्ट रूप से हराम (निषिद्ध) बताया गया है। ऐसा इसलिए ताकी पारिवारिक संबंधों की पवित्रता और सद्भावना बनी रहे और परिवार के भीतर किसी भी तरह के यौन संबंधों या अनुचित व्यवहार होने की घटना को रोका जा सके. अगर कोई ऐसा करता है, तो ये यह करीबी रिश्तेदारों (महरम) के बीच शादी पर पाबंदी लगाने वाले इस्लामी शरिया का उल्लंघन माना जाता है।
इस्लाम में किन लोगों से शादी करने की मनाही है
कुरान और हदीस के अनुसार इस्लाम में कुछ रिश्तों में शादी करना बहुत बड़ा गुनाह माना जाता है जैसे माता-पिता और बच्चे, सगे भाई-बहन, मां के भाई या बहन, भाई के बेटे या बेटी, पिता के भाई या बहन, बहन के बेटे या बेटी या बेटे के पत्नी से शादी नहीं की जा सकती। इसके अलावा मुस्लिम महिला, मुस्लिम पुरुष के अलावा किसी और से शादी नहीं कर सकती हैं
क्यों की जाती है इस्लाम में चचेरे भाई-बहन से शादी?
इस्लाम में चचेरे भाई-बहन से शादी करना जायज इसलिए माना जाता है, क्योंकि दोनों परिवारों के रीति-रिवाज और खान-पान एक जैसे होते हैं, जिससे उनके नए रिश्तों में सहजता और सामंजस्य आती हैं। इसके अलावा करीबी रिश्तों में शादी करने से पारिवारिक संबंध भी मजबूत होते हैं और परिवार में एकजुटता और प्रेम बढ़ता है. साथ ही ऐसा इसलिए भी किया जाता है ताकी घर की संपत्ति बाहर ना जाए और पारिवारिक संपत्ति परिवार के भीतर बनी रहे।

