Categories: धर्म

Chhath Puja 2025: नहाय खाय से शुरू होगी छठ पर्व की शुरुआत, जानें कब से कब तक रहेगी महापर्व छठ की बहार

Chhath Puja 2025: कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरु होने वाला यह पर्व सप्तमी के दिन उदित होते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूर्ण होता है. वर्ष 2025 में 25 अक्टूबर, दिन शनिवार से छठ पूजा की शुरुआत हो रही है. हिंदू धर्म में सबसे कठिन व्रतों में शामिल इस पूजा में 36 घंटे तक व्रती निर्जला रहते हैं.

Chhath Puja 2025: पांच दिनों तक चलने वाले दिवाली त्योहार को मनाने के बाद अब लोगों ने छठ पूजा की तैयारी शुरु कर दी हैं. जिसमें आम जन से लेकर सरकार तक जुट गई है. कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरु होने वाला यह पर्व सप्तमी के दिन उदित होते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूर्ण होता है. वर्ष 2025 में 25 अक्टूबर, दिन शनिवार से छठ पूजा की शुरुआत हो रही है. हिंदू धर्म में सबसे कठिन व्रतों में शामिल इस पूजा में 36 घंटे तक व्रती निर्जला रहते हैं. यह व्रत महिलाएं अपने पुत्र और पति की लंबी आयु, रोग मुक्त जीवन और सुख समृद्धि की कामना से रखती हैं. जिस तरह करवा चौथ का व्रत अब महिलाओं के साथ पुरुष रखने लगे हैं, ठीक उसी तरह इस व्रत को भी पुरुषों ने अपना लिया है. चलिए जानते हैं Pandit Shashishekhar Tripathi द्वारा

 नहाय खाय होता है छठ पूजा का पहला चरण

कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि यानी कि 25 अक्टूबर के  दिन पूरे घर की अच्छी तरह से सफाई करने के बाद स्नान और शुद्ध शाकाहारी सात्विक भोजन का सेवन करने के साथ ही व्रत का पहला चरण नहाय खाय शुरु हो जाता है. यूं तो व्रती सात्विक भोजन खाने की शुरुआत दशहरा होते ही कर देते हैं यानी बीते 15 दिनों से ऐसा क्रम शुरु कर दिया जाता है किंतु इस दिन से विशेष ध्यान रखा जाता है.  परिवार के लोग बाहर का खानपान वर्जित कर देते हैं. स्नान पवित्र नदी या तालाब में किया जाता है किंतु जो लोग स्नान के लिए नदी या तालाब तक नहीं जा पाते हैं, वह घर में किसी पात्र में गंगा जल युक्त पानी से स्नान कर लेते हैं.

Related Post

नहाय खाय के अगले दिन होता है खरना

नहाय खाय के अगले दिन अर्थात 26 अक्टूबर पंचमी तिथि को खरना होगा. इसमें व्रती दिन भर व्रत रखने के बाद शाम को संध्या पूजा के बाद गाय के दूध और गुड़ से बनी खीर को रोटी और फलों के साथ खाकर निर्जला व्रत शुरु कर देते हैं. 

अस्तांचल और उदित सूर्य को अर्घ्य

इसके अगले दिन यानी 27 अक्टूबर षष्ठी तिथि जो छठ पूजा का तीसरा दिन होता है, जिस दिन व्रती सूर्यास्त के समय किसी पवित्र नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. सूर्यदेव की पत्नी प्रत्यूषा अर्थात सूर्य की अंतिम किरण को देखते हुए अर्घ्य देने का विधान है. पूजा के चौथे दिन 28 अक्टूबर सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य की पहली किरण अर्थात सूर्यदेव की पत्नी उषा का दर्शन करते हुए अर्घ्य दिया जाएगा. इसके बाद तालाब या नदी किनारे बनायी गयी वेदी पर पूजा करने के साथ ही छठ मैया के महत्व की कथा परिवारी जनों के साथ बैठ कर सुनी और सुनाई जाती है. इसके बाद आरती कर व्रत का पारण किया जाता है. बाद में प्रसाद सभी लोगों के बीच वितरित किया जाता है.

Pandit Shashishekhar Tripathi

Recent Posts

5 से 15 दिसंबर के बीच यात्रा करने वालों के लिए बड़ी खबर! IndiGo दे रहा रिफंड, ऐसे करें अप्लाई

IndiGo Operationl Crisis: IndiGo 500 उड़ानें रद्द! 5 से 15 दिसंबर के बीच यात्रा करने…

December 5, 2025

Shani Mahadasha Effect: शनि की महादशा क्यों होती है खतरनाक? जानें इसके प्रभाव को कम करने के उपाय

Shani Mahadasha Effects: शनि को न्याय का देवता और कर्मों का फल देने वाला ग्रह…

December 5, 2025

DDLJ के हुए 30 साल पूरे , लंदन में लगा ऑइकोनिक ब्रॉन्ज स्टैच्यू, फोटोज हुईं वायरल

DDLJ Completes 30 Years: फिल्म DDLJ के 30 साल पूरे होने पर लंदन के लीसेस्टर…

December 5, 2025

Putin India Visit: आतंकवाद से लेकर न्यूक्लियर एनर्जी तक, संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में PM मोदी की 10 बड़ी बातें! देखती रह गई पूरी दुनिया

भारत-रूस शिखर सम्मेलन के बाद हुई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में PM मोदी ने दोस्ती को…

December 5, 2025