Chhath 2025 Sandhya Arghya Puja Vidhi: सनातन धर्म में छठ पर्व का खास महत्व है. ये आस्था का महापर्व चार दिनों तक चलता है. पहला दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन संध्या अर्घ्य और चौथा दिन उषा अर्घ्य को समर्पित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी मैया अपने भक्तों के कष्ट हर लेती हैं. परिवार में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी प्रदान होता है. तो आइए जानते हैं कि संध्या अर्घ्य की विधि क्या होती है? सूर्यास्त और सूर्योदय का सही समय क्या है?
सूर्यास्त का सही समय क्या है?
संध्या अर्घ्य सूर्यास्त के समय किया जाता है. आज सूर्यास्त का सामान्य समय लगभग शाम 5 बजकर 40 मिनट से हैं. छठ पूजा का तीसरा दिन यानी की संध्या अर्घ्य काफी विशेष माना जाता है. कल यानी की 28 अक्टूबर को सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर होगा.
संध्या अर्घ्य की पूजा विधि
संध्या अर्घ्य के समय शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए. व्रती महिलाओं को पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनने चाहिए. संध्या अर्घ्य के समय नदी, तालाब या जलाशय के किनारे जाना चाहिए. सूर्य अर्घ्य से पहले शुद्ध दीपक और घी तैयार करें फिर उसे जलाकर रखें. पूरी भक्ति के साथ संध्या अर्घ्य देते समय सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करें.
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छठ पूजा के संध्या अर्घ्य का विशेष महत्व (Chhath Puja Sandhya Arghya Significance)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, डूबते सूर्य को अर्घ्य देना जीवन के निरंतर चक्र का प्रतीक है. शाम के समय सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जो उनकी एक किरण है. ऐसे में सूर्य देव को पत्नी प्रत्यूषा के साथ अर्घ्य देने से परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है. साथ ही संतान कल्य़ाण का आर्शीवाद मिलता है.

