Chandra Grahan 2025: भूलकर भी चंद्रग्रहण के दौरान न करें मनोरंजन वरना नाराज हो जाएंगे देवता, क्या करें क्या न करें

Chandra Grahan 2025: ग्रहण के समय यह माना जाता है कि चंद्रमा या सूर्य पर राहु-केतु का प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव देवगणों पर संकट का सूचक है। ऐसे में यदि मनुष्य चैन से गाने सुनें, फिल्में देखें, हँसी-ठिठोली करें या आलस्य में सोए रहें, तो यह जैसे अपने ईष्ट के दुख में उनका उपहास करना है। ठीक वैसे ही जैसे आपके घर का कोई सदस्य संकट में हो और आप आराम से टीवी देखते रहें।

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Chandra Grahan 2025: ग्रहण केवल आकाशीय घटना नहीं है, यह आत्मा को झकझोरने वाला एक आध्यात्मिक क्षण है। शास्त्रों ने इसे साधना, संयम और भजन-कीर्तन के लिए श्रेष्ठ काल माना है। किंतु दुखद बात यह है कि आधुनिक समय में लोग इस काल को समझने के बजाय इसे व्यर्थ की गतिविधियों में गंवा देते हैं। ग्रहण का अर्थ है देवगण संकट में हैं। पंडित शशिशेखर त्रिपाठी (Pandit Shashi Shekhar Tripathi) द्वारा बताया गया है कि जब देवगण ही संकट में हों तो उनके भक्त भोग-विलास और मनोरंजन में डूबे रहें, क्या यह उचित है।

ग्रहण काल में मनोरंजन क्यों वर्जित है?

ग्रहण के समय यह माना जाता है कि चंद्रमा या सूर्य पर राहु-केतु का प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव देवगणों पर संकट का सूचक है। ऐसे में यदि मनुष्य चैन से गाने सुनें, फिल्में देखें, हँसी-ठिठोली करें या आलस्य में सोए रहें, तो यह जैसे अपने ईष्ट के दुख में उनका उपहास करना है। ठीक वैसे ही जैसे आपके घर का कोई सदस्य संकट में हो और आप आराम से टीवी देखते रहें।

आधुनिक युग और नये मनोरंजन के साधन

आज के दौर में मनोरंजन की परिभाषा केवल टीवी और मूवी तक सीमित नहीं रही, बल्कि लोग घंटों मोबाइल गेम खेलते हैं, वेब सीरीज बिंज देखते हैं. सोशल मीडिया पर रील्स और शॉर्ट वीडियो स्क्रॉल करते रहते हैं, या फिर दोस्तों के साथ वीडियो कॉल पर गपशप में समय गंवा देते हैं जबकि ग्रहण काल में यह सब कार्य वर्जित बताए गए हैं। यह समय आत्मा को गहराई से झाँकने वाला होता है, न कि इंस्टाग्राम पर ट्रेंडिंग रील्स देखने वाला। यह समय मन को स्थिर करने का है, न कि मोबाइल स्क्रीन पर आभासी आनंद ढूंढने का।

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सोना नहीं चाहिए

अक्सर लोग सोचते हैं कि “जब कुछ करना मना है, तो हम सो ही जाएं।” परंतु ग्रहण काल में सोना भी वर्जित है। ग्रहण आत्म जागरण का अवसर है। यह काल जप, ध्यान और ईश्वर के स्मरण के लिए है। जो साधना में नहीं बैठ सकते, वह नाम-जप करें, भजन सुनें या मंत्र का जाप करें। लेकिन सोकर इस समय को गंवाना उचित नहीं है।

ग्रहण को परिवार के संकट की तरह समझें

यदि आप कल्पना करें, की घर का कोई सदस्य कठिनाई में फंसा हो, झगड़े या बीमारी से जूझ रहा हो तो क्या आप उस समय हँसते-गाते मूवी देखें, तो यह उचित नहीं होगा। हर संवेदनशील व्यक्ति तुरंत उसके लिए खड़ा होगा। यही भाव ग्रहण के समय भी रखना चाहिए। जब देवगण पर संकट हो, तो हमें भी भजन, जप और संयम से उनके साथ खड़े रहें।

ग्रहण काल का सही उपयोग

ग्रहण काल में व्यक्ति को अपने जीवन पर भी दृष्टि डालनी चाहिए। यह समय आत्मचिंतन और आत्मशुद्धि का अवसर होता है। जाप, ध्यान और भजन में मन लगाएं। दान और पुण्य कर्म के संकल्प लें। नकारात्मक विचारों से दूरी बनाएं और वाणी पर संयम रखें। जब इस अवधि को साधना और पुण्य से भरते हैं, तब ग्रहण केवल एक बाहरी घटना नहीं रह जाता, बल्कि आत्मा को नये प्रकाश की ओर ले जाने वाला साधन बन जाता है।

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