महर्षि वाल्मीकि, जिन्होंने रामायण ग्रंथ की रचना की उनका जन्म आश्विन महीने की पूर्णिमा को माना जाता है. जो लोग सनातन धर्म से जुड़े है लोग उनके जन्मोत्सव को वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाते हैं. महर्षि वाल्मीकि की जयंती इस साल 07 अक्टूबर 2025 को मनाई जा रही है. महर्षि वाल्मीकि को संस्कृत भाषा के पहले कवि यानी आदि कवि माना जाता है. उनके द्वारा लिखी गई रामायण को सबसे सच्ची और प्रामाणिक रामायण माना जाता है. आइए जानतें है महर्षि वाल्मीकि के जीवन की कहानी और लोग उनकी जयंती किस तरह मनाते हैं.
वाल्मीकि जी की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि वाल्मीकि का बचपन में नाम रत्नाकर था. उनके जन्म को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं. कई कहानियों में ऐसा बताया जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, लेकिन कुछ के अनुसार बचपन में वे माता-पिता से दूर होकर शिकारियों के साथ रहे. फिर भी, , वे अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लूटपाट किया करते थे.
कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि ने कभी महर्षि नारद को लूटने की कोशिश की, लेकिन नारद मुनि की बातें सुनकर उनका मन बदल गया और उन्होंने अपने पापों की माफी के लिए कठिन तप किया. मान्यता है कि वे इतने गहरे तपस्या में डूब गए कि बाहर की कोई चीज़ उन्हें दिखाई नहीं दी और उनके शरीर पर दीमक ने टीला बना लिया. इसी के कारण उनका नाम रत्नाकर से वाल्मीकि हो गया था. ऐसा माना जाता है कि वाल्मीकि भगवान राम के समय के बताए जाते है. ऐसा कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि ने माता सीता को अपने आश्रम में रहने का स्थान दिया था. जहां लव और कुश का जन्म हुआ था. लव और कुश को महर्षि वाल्मीकि ने रामायण पढ़ाई. कहा जाता है कि वे रामायण का सबसे पहला गायन करने वाले थे.
महर्षि वाल्मीकि जयंती को कैसे मनाएं?
वाल्मीकि जयंती के दिन ल्दी उठकर स्नान करें, पूजा घर को साफ करें और महर्षि वाल्मीकि का चित्र या मूर्ति वहां रखें. उसके बाद, धूप-दीप और पुष्पों से उनकी पूजा करें. देश भर में महर्षि वाल्मीकि के जन्मोत्सव पर कई हिस्सों में झांकियां और शोभा यात्रा निकालकर उन्हें सम्मान दिया जाता है. जयंती के दिन गरीबों को अन्न और वस्त्र दान करें और समाज के लिए काम करें.

