Rajasthan: मौत के मंजर की आंखों देखी, 8 घंटे चला संघर्ष

Rajasthan: 6 सितंबर की सुबह हुई तेज बारिश ने आयड़ नदी को उफान पर ला दिया. इसी दौरान हिरण मगरी सेक्टर-3 के सुखाड़िया नगर निवासी रवि खोखर और उनका दोस्त संजय घर से महज़ 300 मीटर दूरी पर स्थित मंदिर दर्शन के लिए गए, संजय करीब आठ घंटे तक चट्टान पर फंसे रहे जबकि रवि की तलाश अभी भी जारी है.

Published by Swarnim Suprakash

राजस्थान से सतीश शर्मा की रिपोर्ट 
Rajasthan: उदयपुर में इस बार मानसून ने जहां बरसों के रिकॉर्ड तोड़ दिए, वहीं कई परिवारों को गहरे जख्म भी दे गया. मानसून ने यहां खुशियां छीन ली. इस बारिश में एक दोस्त 8 घंटे मौत से जूझकर बचा, तो दूसरा अब तक लापता है. वहीं बेटे की तलाश में एक पिता रोज़ 20 किलोमीटर पैदल चल रहे हैं.

बता दे कि 6 सितंबर की सुबह हुई तेज बारिश ने आयड़ नदी को उफान पर ला दिया. इसी दौरान हिरण मगरी सेक्टर-3 के सुखाड़िया नगर निवासी रवि खोखर (33) और उनका दोस्त संजय (23) घर से महज़ 300 मीटर दूरी पर स्थित मंदिर दर्शन के लिए गए थे. लेकिन मंदिर तक का यह सफर उनकी ज़िंदगी का सबसे खौफनाक लम्हा साबित हुआ. गहरे सदमे में रहे संजय ने मौत के सामने के उन 8 घंटे की दास्तान को बयां किया.

मंदिर दर्शन के दौरान आयी आफ़त

संजय ने बताया कि दोनों दोस्त मंदिर पहुंचे ही थे कि अचानक बारिश तेज हो गई और नदी का पानी उफान मारने लगा. दोनों ने पास की चट्टान पर शरण ली, लेकिन हालात बिगड़ते गए. कुछ ही देर बाद पानी का वेग इतना बढ़ गया कि रवि का पैर फिसला और वह तेज धारा में बह गया, जबकि संजय किसी तरह चट्टान से चिपककर अपनी जान बचा पाए.

आठ घंटे मौत से जंग

संजय करीब आठ घंटे तक चट्टान पर फंसे रहे. उन्होंने बताया कि कैसे पानी लगातार बढ़ रहा था और ऐसा लग रहा था कि अब मौत सामने है. तेज बहाव में अपने दोस्त के बाहर जाने के बाद कैसे उनकी हिम्मत टूट रही थी, लेकिन खुद को संभालकर चट्टान पकड़े रहा. संजय कहते हैं कि उन्हें इस बात का अफसोस है उन्हें रवि को बचाने का मौका तक नहीं मिला, पानी का बहाव इतना तेज था कि बस आंखों के सामने सब खत्म हो गया.

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आख़िरकार आर्मी, सिविल डिफेंस और एसडीआरएफ की टीमों ने संयुक्त ऑपरेशन चलाया. बड़े ड्रोन और रस्सियों की मदद से रस्सी और लाइफ जैकेट पहुंचाई गई और घंटों की मशक्कत के बाद संजय को सुरक्षित बाहर निकाला गया.

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बेटे की तलाश में पिता की जद्दोजहद

रवि के पिता रमेश खोखर का दर्द देखते ही बनता है. आंखों में आंसू लिए उन्होंने कहा कि 6 सितंबर को रवि घर से नाश्ता करके मंदिर गया था. हमें क्या पता था कि वह आख़िरी बार घर से निकला है. अगर फतहसागर के गेट खोलने से पहले सायरन बजा दिया जाता, तो यह हादसा नहीं होता.
अब रमेश हर दिन 15 से 20 किलोमीटर पैदल चलकर बेटे को ढूंढ रहे हैं. पड़ोस के करीब 50 युवा भी उनकी मदद में दिन-रात लगे हैं. उन्होंने कहा कि अगर मेरे बेटे का शव भी मिल जाए तो हमें संतोष मिल जाएगा.

बेटे की आख़िरी याद

सबसे दिल दहला देने वाली बात यह रही कि रवि के बेटे ने अपने मोबाइल पर 4-5 सेकंड का वीडियो बनाया, जिसमें उनके पिता पानी में बहते हुए नज़र आ रहे हैं. यह वीडियो अब परिवार के लिए पिता की आख़िरी याद बनकर रह गया है.
परिजनों और स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने समय रहते चेतावनी दी होती तो हादसे से बचा जा सकता था. रवि की तलाश अभी भी जारी है और परिवार की आंखें अब भी उसके इंतजार में टिकी हुई हैं.

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