Madan Pur Devi Temple: हमारे देश में यूं तो कई प्रकार के देवी-देवताओं के मंदिर हैं, लेकिन ऐसे सैंकड़ों मंदिर हैं जो आज भी पूरी तरह से रहस्यमयी है. ठीक इसी तरह बिहार के बगहा का मदनपुर देवी मंदिर है जो अपने अंदर कई तरह के रहस्य को लेकर पूरे प्रदेशभर में बेहद ही प्रसिद्ध है. तो आइए जानते हैं माता के इस मंदिर से जुड़े कुछ रहस्यमयी कहानियों के बारे में.
मां भगवती पिंडी करतीं हैं विराजमान
बिहार के बगहा में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के घने जंगलों के बीच बसा माता का ये अद्भुत मंदिर अपने में कई रहस्यमयी बातों को लेकर समाया हुआ है. लेकिन आप ये जानकर बेहद ही हैरान हो जाएंगे की इस मंदिर में मां भगवती पिंडी रूप में विराजमान करती हैं और साथ ही अपनी चमत्कारी मान्यताओं के लिए दूर-दूर तक काफी प्रसिद्ध भी है.
बाघ का रहस्यमय तरीके से आगमन
मंदिर से जुड़ी सबसे अनूठी मान्यता यह है कि हर रात माता के दर्शन के लिए उनका वाहन, एक बाघ, मंदिर में आता है. इसी कारणवश, रात में मंदिर परिसर में किसी भी श्रद्धालु और पुजारी को रुकने की अनुमति नहीं होती है. यह बाघ की उपस्थिति ही इस मंदिर को रोमांच का एक अनोखा आयाम प्रदान करती है. माता के इस अद्भुत मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से बड़ी संख्या में भक्त आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने के लिए माता से आर्शीवाद लेते हैं.
राजा मदन सिंह की कथा से जुड़ी कहानी
ऐसा माना जाता है की इस मंदिर की स्थापना राजा मदन सिंह के काल में की गई थी. उस समय रहसु गुरु नामक एक साधु बाघों के गले में सांप बांधकर उनसे धान की दंवरी (कुचलने का काम) कराते थे. जब राजा ने यह अद्भुत चमत्कार देखा, तो उन्होंने साधु से देवी को बुलाने की बेहद ही जिद की. साधु के बार-बार चेतावनी देने के बावजूद भी राजा नहीं माने. मान्यता के अनुसार साधु के आने पर मां भगवती असम के कामाख्या से होते हुए मदनपुर पहुंचीं. देवी के तेज के प्रकट होते ही साधु का सिर फट गया और राजा मदन सिंह उनके तेज को सहन न कर पाए, जिससे उनका राज-पाट वहीं हमेशा के लिए खत्म हो गया. इस घटना के बाद से मां पिंडी के रूप में देशभर में बेहद ही प्रतिष्ठित हैं.
गाय और ग्रामीण हरिचरण की अनोखी भक्ति
मंदिर में पूजा की शुरुआत एक ग्रामीण हरिचरण की भक्ति से हुई. जहां, उन्होंने देखा कि एक गाय प्रतिदिन एक पिंडी पर आकर दूध चढ़ाती है. उसी दिन से वहां पिंडी की पूजा की शुरुआत की गई. ग्रामीण की भक्ति से प्रसन्न होकर देवी मां ने उनकी रक्षा के लिए उन्हें एक बाघ प्रदान किया. ऐसा माना जाता है कि माता के दर्शन के लिए आज भी बाघ मंदिर में आता है.
श्रद्धालुओं की आस्था और नवरात्र का मेला
कुछ साल पहले यहां एक भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है और यह बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और नेपाल के लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बन चुका है. मंदिर में विवाह, मुंडन और अन्य धार्मिक संस्कार संपन्न कराए जाते हैं. नवरात्र के दौरान मंदिर में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. नवरात्र के समय में विशाल मेले के साथ-साथ माता के मंदिर को बड़े ही सुंदर तरीके से सजाया जाता है.

