सावधान! आपके नए ब्रांडेड कपड़े बन सकते हैं गंभीर इन्फेक्शन की वजह, जानिए ट्रॉयल रूम का शातिर राज

नए कपड़े (New Clothes) को खरीदे समय सावधान (Alert) हो जाइए, क्योंकि गंभीर इन्फेक्शन (Serious Infection) की समस्या भी देखने को मिल सकती है.

Published by DARSHNA DEEP

New branded clothes can cause serious infections: नए कपड़े खरीदना आखिर किसको पसंद नहीं होगा. इन नए कपड़ों की चमक, ताज़ा गंध हमें तुरंत उन्हें पहन लेने के लिए अपनी तरफ तेज़ी से आकर्षित करते हैं. लेकिन, क्या आप यह जानते हैं कि “नई” चीज़ आपके स्वास्थ्य के लिए एक बेहद ही बड़ी मुसीबत बन सकती है?

क्या कहते हैं त्वचा रोग विशेषज्ञ?

हालाँकि, विशेषज्ञों और त्वचा रोग विशेषज्ञों (Dermatologists) का साफ मानना है कि नए कपड़ों को बिना धोए पहनना त्वचा और सेहत के लिए बेहद ही खतरनाक हो सकता है. तो आइए जानते हैं कि आपके नए कपड़ों में क्या-क्या छिपा हो सकता है, जिससे आपको सावधान रहने की खास तौर से ज़रूरत है. 

1. खतरनाक रसायनों का जमावड़ा

कपड़ों के निर्माण की प्रक्रिया बहुत ही ज्यादा लंबी होती है. जो धागे से लेकर अंतिम उत्पाद बनने तक, कपड़ों पर कई तरह के रसायनों का छिड़काव किया जाता है. जिसमें फॉर्मलाडेहाइड (Formaldehyde) और (Azo Disperse Dyes) की मात्रा ज्यादा शामिल होती है. कपड़ों को झुर्रियों से बचाने (Wrinkle-free) और फफूंद से सुरक्षित रखने फॉर्मलाडेहाइड का इस्तेमाल किया जाता है.

तो वहीं, दूसरी तरफ एजो डिस्पर्स डाइज़ का इस्तेमाल रंग कपड़ों को चटक बनाने में किया जाता है. लेकिन पसीने के संपर्क में आने पर ये त्वचा में समा जाते हैं, जिससे गंभीर एलर्जी और डर्मेटाइटिस हो सकता है

2. कीटाणुओं का बन सकता है घर

दुकान के रैक पर पहुंचने से पहले, वे कपड़े न जाने कितने हाथों से गुज़रे होते हैं, यह किसी को भी नहीं पता होता है. एक ही कपड़े को दर्जनों लोग ट्रायल रूम में पहनकर देखते हैं. अगर उनमें से किसी को त्वचा का फंगल इन्फेक्शनकी समस्या है, तो वे कीटाणु उस कपड़े के रेशों में चिपक सकते हैं. जिससे पहनने वाले व्यक्ति को जलन की समस्या भी हो सकती है. 

इतना ही नहीं, ‘स्केबीज’ (Scabies) जैसी संक्रामक खुजली की बीमारी नए कपड़ों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़े ही आसानी से और तेज़ी से फैल सकती है. 

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3. शिपिंग और स्टोरेज की गंदगी

कपड़े अक्सर लंबी दूरी तय करके कंटेनरों में अच्छी तरह से भरकर आते हैं. इसके साथ ही नमी और कीटों से बचाने के लिए गोदामों में उन पर कीटनाशकों और ‘एंटी-मोल्ड’ एजेंटों का छिड़काव भी किया जाता है. इसके अलावा धूल, मिट्टी और कभी-कभी चूहों या कीड़ों के अवशेष भी इन नए कपड़ों में छिपे हो सकते हैं, जो नग्न आँखों से हमें दिखाई नहीं देते हैं. 

4. त्वचा संबंधी समस्याएं

तो वहीं, दूसरी तरफ बिना धुले कपड़े पहनने से सबसे आम समस्या कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस है. इसमें त्वचा लाल हो जाती है, खुजली होती है और कभी-कभी छोटे दाने या फफोले निकल आते हैं. खासकर बगल, कमर और गर्दन जैसे क्षेत्रों में जहां पसीना सबसे ज्यादा आता है, ये रसायन त्वचा में जल्दी अवशोषित होते हैं.

क्या है सुरक्षित रखने के उपाय?

नए कपड़ों को पहनने से पहले कम से कम एक बार ज़रूर धोना चाहिए. इससे अतिरिक्त रंग और रसायन निकल जाते हैं. कपड़ों को धोने के बाद धूप में सुखाना न भूलें. धोने के बाद कपड़ों को धूप में सुखाने से बचे हुए बैक्टीरिया अपने आप ही खत्म हो जाते हैं.

दुकान में कपड़े ट्राई करते समय हमेशा अपने नीचे के कपड़ों (Inners) के ऊपर ही ट्राई करें. सीधे त्वचा के संपर्क में आने से बचने की कोशिश करें. ध्यान रखें, बच्चों की त्वचा बहुत ही ज्यादा संवेदनशील होती है, इसलिए उनके नए कपड़ों को धोने के बाद ही इस्तेमाल करें. 

नए कपड़े भले ही साफ दिखें, लेकिन वे रसायनों, डाइज़, बैक्टीरिया से पूरी तरह से भरे होते हैं. फॉर्मलाडेहाइड और एजो डाइज़ जैसे तत्व गंभीर त्वचा रोग और एलर्जी पैदा कर सकते हैं. इसके साथ ही, ट्रायल रूम के ज़रिए दूसरों के कीटाणु आप तक पहुंच सकते हैं. इसलिए, अपनी त्वचा और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए “वॉश बिफोर वियर” (पहनने से पहले धोना) के नियम को अपनाना बेहद ज़रूरी है. 

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