Vice President Election: पश्चिमी सीमा पर स्थित जैसलमेर के मांगलिया मोहल्ला निवासी जलालुद्दीन राजनीति के ऐसे दीवाने हैं कि वार्ड पंच से लेकर लोकसभा तक, हर चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। इस बार उन्होंने सीधी छलांग लगाई और उपराष्ट्रपति बनने का सपना देखा और 15,000 रुपये जमा करके नामांकन दाखिल किया। लेकिन चुनाव आयोग की जाँच के दौरान दस्तावेजों में एक छोटी सी गलती ने उनका आवेदन खारिज कर दिया।
देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद यानी उपराष्ट्रपति पद के लिए इन दिनों दिल्ली में चुनावी सरगर्मियाँ ज़ोरों पर हैं। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद खाली हुई इस कुर्सी पर बैठने के लिए देश भर से लोग अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर ज़िले के 38 वर्षीय जलालुद्दीन ने भी अपनी आवाज़ बुलंद की है।
नामांकन में तकनीकी खामी के कारण रुका सफ़र
11 अगस्त को उन्होंने 15,000 रुपये की ज़मानत राशि जमा करके विधिवत नामांकन दाखिल किया। सब कुछ ठीक-ठाक रहा, लेकिन कहते हैं न कि बड़े सपनों के लिए बड़ी तैयारियाँ ज़रूरी होती हैं। चुनाव आयोग ने जब उनके दस्तावेज़ों की जाँच की, तो पाया कि उनकी मतदाता सूची की प्रमाणित प्रति पुरानी तारीख की थी। यही तकनीकी खामी उनका नामांकन खारिज करने के लिए काफी थी। ऐसे में, जलालुद्दीन एक बार फिर अपने नामांकन खारिज होने के कारण सुर्ख़ियों में हैं।
पहले भी आजमा चुके हैं अपनी किस्मत
जयपुर के हरदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे जलालुद्दीन बताते हैं कि उन्होंने 2013 में जैसलमेर सीट से विधानसभा चुनाव और 2014 में बारनेर-जैसलमेर सीट से लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था। दोनों ही चुनावों में उनका नामांकन वापस ले लिया गया था। इसके अलावा, उन्होंने 2009 में आसुतार बंधा पंचायत से वार्ड पंच का चुनाव लड़ा था, जिसमें वे 1 वोट से हार गए थे। भले ही जलालुद्दीन की झोली में कभी जीत नहीं आई, लेकिन चुनाव लड़ने का उनका उत्साह हमेशा बरकरार रहा है।

