Russian Woman Nina Kutina: कर्नाटक के गोकर्ण की रामतीर्थ पहाड़ियों की एक गुफा में मिली 40 वर्षीय रूसी महिला नीना कुटीना से पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है। अपनी दो बेटियों के साथ जंगल में रह रही नीना कुटीना को पुलिस ने 11 जुलाई को उत्तर कन्नड़ जिले के कुमटा तालुक की रामतीर्थ पहाड़ियों की एक एकांत गुफा से बचाया था, जहां नीना ने लगभग दो हफ्ते एकांतवास में बिताए थे। पूछताछ के दौरान नीना ने कई बातें बताई हैं।
जंगल में अच्छे से कट रहा था जीवन
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 40 वर्षीय रूसी महिला ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि गुफा में उनका जीवन सौहार्दपूर्ण था और खबरों में दिखाए गए तरीके से बिल्कुल अलग था। उन्होंने कहा, “हम सूरज के साथ उठते थे, नदियों में तैरते थे और प्रकृति के बीच रहते थे। मैं मौसम के हिसाब से आग या गैस सिलेंडर पर खाना बनाती थी और पास के गांव से किराने का सामान लाती थी। हम पेंटिंग करते थे, गाने गाते थे, किताबें पढ़ते थे।” वह अपनी बेटियों को खुद पढ़ाती थीं और कहती हैं, “मेरी बेटियां स्वस्थ और खुश थीं। लोग जो कह रहे हैं वह झूठ है।” नीना ने दावा किया कि साँप उनके दोस्त थे और उन्होंने उन्हें कभी नुकसान नहीं पहुँचाया।
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कैसे काटती थी अपना जीवन?
नीना ने बताया कि वह पेंटिंग करके, संगीत वीडियो बनाकर और कभी-कभी पढ़ाकर या बच्चों की देखभाल करके पैसे कमाती थीं। वह जंगल में जड़ी-बूटियाँ और फल बेचकर भी पैसे जुटाती थीं। जब उन्हें काम नहीं मिलता था, तो रूस में रहने वाले उनके भाई, पिता या बेटे उनकी आर्थिक मदद करते थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीना के पूर्व पति, इजरायली व्यवसायी ड्रोर गोल्डस्टीन भी बच्चों के लिए हर महीने अच्छी-खासी रकम भेजते थे। नीना की आध्यात्मिक यात्रा से प्रभावित कुछ स्थानीय लोग भी दान करते थे।
रूसी महिला कुटीना ने क्या कहा?
कुटीना ने बताया कि परिवार स्वेच्छा से जंगल गया था, लेकिन अब बचाए जाने के बाद, उन्हें असुविधाजनक और अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में रखा जा रहा है। वह कहती हैं, “हमें अब एक असुविधाजनक जगह पर रखा गया है। यह गंदी है, कोई निजता नहीं है और हमें खाने के लिए केवल सादा चावल मिलता है। हमारा बहुत सारा सामान ले जाया गया, जिसमें मेरे बेटे की अस्थियां भी शामिल हैं, जिसकी नौ महीने पहले मृत्यु हो गई थी।” नीना और उनकी बेटियों को अब कारवार के एक महिला पुनर्वास केंद्र में रखा गया है।
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20 देशों की यात्रा कर चुकी है नीना
नीना पिछले 15 सालों में 20 देशों की यात्रा कर चुकी हैं। वह कहती हैं, “मैंने अपने चारों बच्चों को बिना किसी डॉक्टर के खुद जन्म दिया।” उनका भारत से गहरा लगाव है। वह गोवा से गोकर्ण आईं और 2017 में अपने वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी यहीं रहीं। नीना कहती हैं कि जंगल में रहना उनका अपना फैसला था, क्योंकि उन्हें प्रकृति में शांति मिलती थी। क्योंकि उन्हें प्रकृति में शांति मिलती थी।
प्रत्यावर्तन प्रक्रिया
नीना और उनकी बेटियों को रूस भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। रूसी दूतावास उनकी मदद कर रहा है। ड्रोर गोल्डस्टीन ने बेटियों की कस्टडी मांगी है और छोटी बेटी के लिए भारतीय नागरिकता की अपील की है।

