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केंद्र की सत्ता में आए तो RSS पर…मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक ने किया ऐसा ऐलान, मच जाएगा बवाल

आरएसएस पर संविधान की मूल भावना को बदलने का आरोप लगाते हुए प्रियांक खड़गे ने आगे कहा, "वे संविधान की मूल भावना को बदलना चाहते हैं। वे बार-बार ऐसे आख्यानों को बढ़ावा देते हैं जो संविधान के मूल सिद्धांतों के विपरीत हैं। आरएसएस हमेशा संविधान से सहमत नहीं रहा है।

Published by Ashish Rai

RSS Ban: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी कई बार आरएसएस और बीजेपी पर संविधान का सम्मान नहीं करने और देश को बांटने का आरोप लगा चुके हैं। वो लगातार आरएसएस की आलोचना करते नजर आए हैं। एक तरफ देश में संविधान बनाम मनुस्मृति की बहस के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियंक खड़गे ने देश में नई बहस छेड़ दी है। प्रियांक खड़गे ने कहा, जब देश में कांग्रेस दोबारा सत्ता में आएगी तो देश में आरएसएस पर बैन लगा दिया जाएगा। प्रियांक खड़गे ने पूरे देश में आरएसएस पर बैन लगाने की बात कहकर नए विवाद को जन्म दे दिया है। 

आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले की टिप्पणी पर कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, ‘यह बिल्कुल स्पष्ट है कि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने अपने आखिरी भाषण में कहा था कि असली देशद्रोही वे हैं जो जाति के आधार पर समाज में नफरत और दुश्मनी फैलाते हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि आज के समय में ऐसा कौन कर रहा है? 

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‘आरएसएस हमेशा संविधान से सहमत नहीं रहा’

आरएसएस पर संविधान की मूल भावना को बदलने का आरोप लगाते हुए प्रियांक खड़गे ने आगे कहा, “वे संविधान की मूल भावना को बदलना चाहते हैं। वे बार-बार ऐसे आख्यानों को बढ़ावा देते हैं जो संविधान के मूल सिद्धांतों के विपरीत हैं। आरएसएस हमेशा संविधान से सहमत नहीं रहा है। संविधान सभा की कार्यवाही के दौरान भी उनके विचारों में असहमति थी। उन्होंने संविधान को जलाया, मनुस्मृति को भारत का आदर्श ग्रंथ कहने की बात की, फिर उस समय उनकी पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ में इसकी आलोचना की गई।”

‘यह पहली बार नहीं है कि उन पर प्रतिबंध लगाया गया हो’

आरएसएस को देशभर में प्रतिबंधित करने के मामले पर उन्होंने आगे कहा, “यह पहली बार नहीं है कि उन पर प्रतिबंध लगाया गया हो, हमने पहले भी ऐसा देखा है। क्या सरदार पटेल ने पहले उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया था? तब वे उनके सामने झुके थे। उन्होंने आश्वासन दिया था कि वे देश के कानूनों का पालन करेंगे। फिर इंदिरा गांधी ने भी उन पर प्रतिबंध लगाया। तब भी उन्होंने सहमति जताई और कहा कि वे सहयोग करेंगे और संविधान का सम्मान करेंगे। लेकिन क्या पूरे देश के लिए एक कानून नहीं होना चाहिए क्या एक संगठन के लिए अलग-अलग नियम हो सकते हैं?

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Ashish Rai
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