Jio Mobile Towers in J&K: दिवाली के मौके पर भारतीय सैनिकों को कनेक्टिविटी का बड़ा तोहफा मिला है. रिलायंस जियो ने भारतीय सेना की चिनार कोर और वज्र डिवीजन के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले के गुरेज क्षेत्र में पांच नए मोबाइल टावर स्थापित किए हैं.
ये टावर औसतन 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित रणनीतिक और कठिन इलाकों में लगाए गए हैं, जो अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों को डिजिटल कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे. यह पहल उन जवानों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो सीमावर्ती और दुर्गम इलाकों में तैनात हैं, जहां संचार सुविधाएं अब तक सीमित थीं.
क्षेत्र में बढ़ेगी डिजिटल कनेक्टिविटी
भारतीय सेना की ‘कुपवाड़ा सेंटिनल्स’ इकाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस उपलब्धि की जानकारी साझा करते हुए लिखा कि गुरेज क्षेत्र में पांच नए मोबाइल टावरों की स्थापना संचार के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है.
जियो ऐसा करने वाला देश का पहला ऑपरेटर
रिलायंस जियो इससे पहले भी ऊंचाई वाले इलाकों में सेवा देने में अग्रणी रही है. कंपनी ने इसी साल जनवरी में सियाचिन ग्लेशियर पर 16,000 फीट की ऊंचाई पर 4G और 5G सेवाएं शुरू कर इतिहास रचा था. जियो ऐसा करने वाला देश का पहला ऑपरेटर बना था. अब गुरेज में टावर लगाने के साथ कंपनी ने एक और उल्लेखनीय मील का पत्थर हासिल किया है.
सेना और निजी क्षेत्र के बीच बढ़ता सहयोग
इन टावरों की स्थापना सेना और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग की एक मिसाल है. इसमें जियो ने उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स और तकनीकी सहायता प्रदान की, जबकि भारतीय सेना ने इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली और फाइबर सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाई. कंपनी ने इस परियोजना में अपनी स्वदेशी “फुल-स्टैक 5G टेक्नोलॉजी” का उपयोग किया है, जो भारत में निर्मित और विकसित तकनीक पर आधारित है.
डिजिटल इंडिया मिशन को मिला बल
इस पहल से न केवल सैनिकों को अपने परिवारों से संपर्क बनाए रखने में आसानी होगी, बल्कि आपात स्थिति या ऑपरेशनों के दौरान संचार और समन्वय की क्षमता भी बेहतर होगी. गुरेज घाटी जैसे दुर्गम और बर्फीले इलाकों में विश्वसनीय नेटवर्क की उपलब्धता सुरक्षा और मानवीय दोनों दृष्टिकोणों से बेहद अहम है.
रिलायंस जियो और भारतीय सेना की यह संयुक्त पहल डिजिटल इंडिया मिशन को भी बल देती है और यह दर्शाती है कि भारत अब सीमावर्ती इलाकों तक आधुनिक संचार तकनीक पहुंचाने में आत्मनिर्भर हो रहा है.

