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2006 Mumbai Local Train Blasts: 12 बेकसूर मुसलमानों का स्वर्णिम जीवन जेल में बर्बाद हो गया…, मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के फैसले पर बोले ओवैसी, सरकार से की ये मांग

2006 Mumbai Train Blasts Case: ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि निर्दोष लोगों को जेल भेज दिया जाता है और फिर जब वे सालों बाद जेल से रिहा होते हैं, तो उनके जीवन को फिर से संवारने की कोई संभावना नहीं होती।

Published by Divyanshi Singh

2006 Mumbai Train Blasts Case: 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में हाईकोर्ट ने सभी 12 दोषियों की सजा रद्द कर दी। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि क्या सरकार मामले की जाँच कर रहे महाराष्ट्र एटीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी? जिसके चलते निर्दोष लोगों को जेल भेज दिया गया और सालों बाद जब वे अपने जीवन का सुनहरा समय बिता चुके होते हैं, तब उन्हें जेल से रिहा किया जाता है। दरअसल, 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में वहाँ की निचली अदालत ने पहले सभी 12 दोषियों को दोषी ठहराया था, जिनमें से 5 को मौत की सज़ा और 7 को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी। लेकिन सोमवार को हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सभी दोषियों को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया। दोषी ठहराए गए 12 आरोपियों में से एक की 2022 में कोविड के कारण जेल में ही मौत हो गई।

सोशल मीडिया पर किया पोस्ट

ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि निर्दोष लोगों को जेल भेज दिया जाता है और फिर जब वे सालों बाद जेल से रिहा होते हैं, तो उनके जीवन को फिर से संवारने की कोई संभावना नहीं होती। ये आरोपी पिछले 17 सालों से जेल में हैं। वे एक दिन के लिए भी जेल से बाहर नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि उनके जीवन का अधिकांश स्वर्णिम काल बीत चुका है।

ओवैसी ने कहा कि ऐसे मामलों में, जिनमें जनता का गुस्सा होता है, पुलिस का रवैया हमेशा एक जैसा ही होता है। वे पहले दोष मान लेते हैं और फिर उससे मुकर जाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और व्यक्ति के अपराध का फैसला उसी तरह करते हैं जैसे मीडिया मामले को कवर करता है। ओवैसी ने कहा कि ऐसे कई आतंकवादी मामलों में जाँच एजेंसियों ने हमें बुरी तरह निराश किया है।

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उनका स्वर्णिम जीवन जेल में बर्बाद हो गया-ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि 12 मुसलमान 18 साल से जेल में हैं, वह भी ऐसे अपराध के लिए जो उन्होंने किया ही नहीं। उनका स्वर्णिम जीवन जेल में बर्बाद हो गया। उन्होंने कहा कि मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट में जान गंवाने वाले 180 परिवारों ने अपनों को खोया और कई घायल हुए। लेकिन उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला है।

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निर्दोषों ने अपने अपनों को खो दिया-एआईएमआईएम प्रमुख

एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा कि दोषी ठहराए गए 12 लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है। ओवैसी ने कहा कि फैसल और मुज़म्मिल दोनों भाइयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। यह खबर सुनकर उनके पिता को दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। उनकी माँ का भी 2023 में निधन हो गया। उन्होंने कहा कि मोहम्मद मजीद बारी की पत्नी अपने पति से अंतिम बातचीत किए बिना ही चल बसीं।

मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट

बता दें कि 2006 में मुंबई लोकल ट्रेन में 7 जगहों पर बम विस्फोट किए गए थे। इस हादसे में 189 लोगों की मौत हो गई थी और 824 लोग घायल हुए थे। मामले की सुनवाई के बाद 2015 में विशेष अदालत ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जिनमें से 5 को मौत की सजा और 7 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। लेकिन अब हाईकोर्ट ने अपने फैसले में उन सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।

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