Omar Abdullah: गुरुवार (10 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में बिहार में मतदाता सूची संशोधन मामले की सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था को अपना काम करने से नहीं रोकेगा। इस बीच, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस मामले पर बयान दिया है।
उमर अब्दुल्ला ने कलकत्ता में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “जिन लोगों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है, उन्हें अपना रुख़ साफ़ करना होगा। इसके बाद, अगर कोई और रास्ता है जिससे वे इस मामले में न्याय पाने के लिए अदालत का इस्तेमाल कर सकें, तो उन्हें ऐसा करना चाहिए।”
‘चुनाव हर हाल में होने चाहिए’
उन्होंने कहा, “मैं उन लोगों में से हूँ जो कहते हैं कि चुनाव हर हाल में होने चाहिए। हमारा जम्मू-कश्मीर एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ सालों से चुनाव नहीं होते। पिछले साल हुए चुनाव लगभग दस साल बाद हुए थे। हम इन विवादों में नहीं पड़ते। हमारा सीधा उद्देश्य है कि लोग वोट दें और अपनी सरकार चुनें।”
इन दलों ने दायर की थीं याचिकाएँ
बता दें कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राजद, माकपा समेत कई विपक्षी दलों ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर रोक लगाने की माँग की थी। हालाँकि, चुनाव आयोग ने इन याचिकाओं पर आपत्ति जताई और कहा कि चुनाव आयोग का मतदाताओं से सीधा संबंध है।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। चुनाव आयोग की ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलीलें रखीं, जबकि याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल और गोपाल शंकर नारायण ने दलीलें रखीं।
इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची संशोधन के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएँ एक ऐसा मुद्दा उठाती हैं जो ‘लोकतंत्र की जड़ों’ को प्रभावित करता है, जिसमें मतदान का अधिकार भी शामिल है।

