Mallikarjun Kharge: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 25 साल पुरानी अपनी राजनीतिक पीड़ा खुलकर बयां की। पहली बार उन्होंने बताया कि 1999 में कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए उन्होंने जो मेहनत की थी, उसका फल उन्हें किसी और से मिला। उन्होंने कड़ी मेहनत की, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी एसएम कृष्णा को मिली। खड़गे ने कहा कि उस समय वह कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता थे और उन्होंने पार्टी को सत्ता में लाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। लेकिन जब पद का समय आया, तो उन्हें दरकिनार कर दिया गया।
खड़गे ने क्या कहा?
बेली मठ के स्वामीजी से भावुक स्वर में खड़गे ने कहा, “स्वामीजी, मैंने जो सेवा की, वह व्यर्थ गई।” हालांकि, खड़गे ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें कभी सत्ता की लालसा नहीं रही, बल्कि पार्टी और जनसेवा में विश्वास था। उन्होंने कहा, “मैं ब्लॉक अध्यक्ष से लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी(AICC) अध्यक्ष तक पहुंचा, लेकिन कभी पद के लिए दौड़ा नहीं, जो भी मिला, अपने आप मिला।”
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खड़गे ने दिखाई ताकत
यह बयान ऐसे समय में आया है जब खड़गे देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत, खासकर कर्नाटक में दमदार प्रदर्शन किया है। लेकिन उनके बयान से पता चलता है कि राजनीति में सफलता उतनी सीधी राहों से नहीं मिलती, जितनी दिखती है। खड़गे ने साफ कहा कि वह सत्ता की दौड़ में नहीं हैं, बल्कि पार्टी की सेवा और योगदान में विश्वास रखते हैं।
खड़गे का यह बयान डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के लिए एक संकेत भी हो सकता है। क्योंकि अक्सर खबरें आती रहती हैं कि डीके शिवकुमार सीएम बनना चाहते हैं, लेकिन सिद्धारमैया कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

