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कौन हैं वो संत जिनके लिए प्रेमानंद महाराज की नम हुई आंखें?

Who is Guru Guru Sharananand : वृंदावन के संत प्रेमानंद जी ने अपने गुरु शरणानंद जी के चरण धोकर उन्हें गद्दी पर बैठाया. ये भावुक दृश्य गुरु-शिष्य परंपरा की गहराई और समर्पण को दर्शाता है.

Published by sanskritij jaipuria

Premanand Maharaj Ji : वृंदावन के फेमस संत प्रेमानंद जी महाराज इन दिनों अपनी तबीयत को लेकर चर्चा में हैं. सोशल मीडिया पर उनकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर कई तरह की खबरें सामने आई हैं, जिससे उनके अनुयायियों के बीच चिंता का माहौल है. इसी बीच एक अत्यंत भावुक कर देने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें प्रेमानंद महाराज अपने आध्यात्मिक गुरु के चरणों में झुकते दिखाई देते हैं. इस दृश्य ने हजारों लोगों को भावविभोर कर दिया है और हर कोई ये जानना चाह रहा है कि आखिर वो पूजनीय संत कौन हैं, जिनके प्रति प्रेमानंद जी इतनी श्रद्धा और समर्पण दिखा रहे हैं.

गुरु के प्रति प्रेमानंद महाराज की अटूट श्रद्धा

इस वीडियो में ये साफ रूप से देखा जा सकता है कि प्रेमानंद जी महाराज, भले ही अस्वस्थ हैं, फिर भी जैसे ही उन्होंने अपने गुरु को देखा, तुरंत उठकर साष्टांग दंडवत प्रणाम किया. उन्होंने अपने हाथों से गुरुजी के चरण धोए, उन्हें अपने दुपट्टे से पोंछा और फिर अपनी ही गद्दी पर उन्हें ससम्मान बैठाया. इस दौरान प्रेमानंद जी की आंखें आंसुओं से भरी थीं और उनके समर्पण को देखकर वहां उपस्थित हर श्रद्धालु भावुक हो उठा.

Who is Guru Guru Sharananand : कौन हैं प्रेमानंद जी महाराज के गुरु?

प्रेमानंद जी के गुरु हैं शरणानंद जी महाराज, जो वृंदावन के रमणरेती महावन आश्रम के प्रमुख संत हैं. शरणानंद जी महाराज एक अत्यंत तपस्वी, विनम्र और गहन आध्यात्मिक ज्ञान से संपन्न संत माने जाते हैं. वे सालों से साधना और सेवा में रमे हुए हैं और उनके प्रवचन भी देश-विदेश में फैले हुए उनके भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय हैं.

प्रेमानंद महाराज स्वयं भी कई बार अपने प्रवचनों में शरणानंद जी का उल्लेख कर चुके हैं और उन्हें न सिर्फ अपना गुरु, बल्कि आध्यात्मिक जीवन का पथ-प्रदर्शक भी मानते हैं. इस वीडियो ने ये दिखा दिया कि चाहे कोई संत कितना ही प्रसिद्ध और पूज्य क्यों न हो, अपने गुरु के सामने वो सदा शिष्य ही रहता है.

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केली कुंज आश्रम में हुआ भावुक मिलन

ये भावनात्मक दृश्य वृंदावन स्थित केली कुंज आश्रम में घटित हुआ, जब शरणानंद जी महाराज, प्रेमानंद जी का हालचाल लेने आश्रम पधारे. प्रेमानंद जी ने जैसे ही अपने गुरु को देखा, तुरंत उठ खड़े हुए और पूरी श्रद्धा से दंडवत प्रणाम किया. उन्होंने अपने हाथों से गुरु के चरण धोकर उन्हें अपनी गद्दी पर बैठाया और आरती उतारी. ये दृश्य केवल एक गुरु-शिष्य के बीच का संबंध नहीं, बल्कि भारतीय सनातन परंपरा की जीवंत झलक थी.

गुरु-शिष्य परंपरा का अनुपम उदाहरण

प्रेमानंद जी महाराज और शरणानंद जी महाराज की ये मुलाकात आज के समय में एक सशक्त संदेश देती है – कि चाहे व्यक्ति कितना भी ऊंचा पद पा ले, अपने गुरु के प्रति विनम्रता और श्रद्धा नहीं छोड़नी चाहिए. ये दृश्य आधुनिक समाज को गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व का स्मरण कराता है, जो भारतीय अध्यात्म की नींव है.

 

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