ISRO: भारत ने अमेरिका और चीन के बाद अंतरिक्ष क्षेत्र में कमाल कर दिया है। भारत ने अपने पहले भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का मॉडल पेश किया है। इसरो ने शुक्रवार 22 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह के अवसर पर दिल्ली के भारत मंडपम में शुरू हुए इस स्टेशन के पहले मॉड्यूल का मॉडल प्रदर्शित किया।
2035 तक बनकर तैयार हो जाएगा स्टेशन
इसरो ने बताया कि स्टेशन का पहला मॉड्यूल BAS-01 लगभग 10 टन वजनी होगा और इसे पृथ्वी की कक्षा में 450 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थापित किया जाएगा। भारत की योजना 2035 तक कुल पाँच मॉड्यूल जोड़कर एक पूर्ण अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की है।
आपको बता दें कि भारत की इस स्टेशन के पहले भाग को लॉन्च करने की योजना 2028 तक की है। अभी तक, केवल दो देश अमेरिका और सहयोगी देशों का अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) और चीन का तियांगोंग स्टेशन अंतरिक्ष में कार्यरत हैं।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की विशेषताओं की बात करें तो
- इसमें पूरी तरह से भारत में निर्मित पर्यावरण नियंत्रण और जीवन रक्षक प्रणाली (ECLSS) होगी।
- अन्य यान भारत डॉकिंग सिस्टम और भारत बर्थिंग मैकेनिज्म के माध्यम से जुड़ सकेंगे।
- इस स्टेशन में एक स्वचालित हैच सिस्टम, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण अनुसंधान प्लेटफ़ॉर्म और वैज्ञानिक इमेजिंग के लिए व्यूपोर्ट होंगे।
भारत का अंतरिक्ष स्टेशन मानव स्वास्थ्य, अंतरिक्ष चिकित्सा और जीवन विज्ञान पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभावों पर शोध करेगा। यहाँ से दीर्घकालिक मानवीय उपस्थिति के लिए आवश्यक तकनीक का भी विकास किया जाएगा। इसके अलावा, इस स्टेशन में अंतरिक्ष पर्यटन की भी सुविधा उपलब्ध होगी, जो वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के लिए नए रास्ते खोलेगा।
भारत का बढ़ेगा प्रभुत्व
यह स्टेशन अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देगा और भारत को एक वैश्विक अनुसंधान केंद्र बनाएगा। साथ ही, यह परियोजना युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगी।

