India UK Free Trade Agreement: भारत और ब्रिटेन के बीच गुरुवार को मुक्त व्यापार समझौते पर मुहर लग गई। पीएम मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की मौजूदगी में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस व्यापार समझौते के तहत ब्रिटेन 99 प्रतिशत भारतीय उत्पादों और सेवाओं पर टैरिफ कम करेगा। जबकि इस व्यापार सौदे के जरिए ब्रिटेन के 90 प्रतिशत उत्पादों को न्यूनतम स्तर पर लाया जाएगा। इस मुक्त व्यापार समझौते के तहत भारत ब्रिटेन के स्कॉच व्हिस्की, कारों और चॉकलेट व बिस्कुट जैसे खाद्य उत्पादों पर टैरिफ कम करेगा।
यह सौदा ऐसे समय हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ योजनाओं ने पूरी दुनिया में उथल-पुथल मचा रखी है। भारत और अमेरिका एक मिनी ट्रेड डील पर भी बातचीत कर रहे हैं, लेकिन 1 अगस्त की समयसीमा से पहले इसका पूरा होना मुश्किल लग रहा है। अमेरिका ने हाल ही में जापान के साथ एक डील की है, जिसे ट्रंप ने दूसरे देशों के लिए एक मिसाल बताया है। इस डील के मुताबिक, अमेरिका में जापानी सामानों पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा, लेकिन जापान को अपना बाजार पूरी तरह से अमेरिकी कंपनियों के लिए खोलना होगा।
भारत को क्या फ़ायदा
ब्रिटेन का कहना है कि FTA से भारत के लोगों को काफ़ी फ़ायदा होगा। वे ब्रिटेन से अच्छे उत्पाद आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। जैसे शीतल पेय, सौंदर्य प्रसाधन, कार और चिकित्सा उपकरण। FTA लागू होने के बाद इन चीज़ों पर लगने वाला कर 15% से घटकर 3% हो जाएगा। इससे ये चीज़ें सस्ती हो जाएँगी।
अभी भी ब्रिटेन भारत से 11 अरब पाउंड का सामान ख़रीदता है। लेकिन कर में कमी से ब्रिटेन के लोगों और व्यापारियों के लिए भारतीय सामान ख़रीदना और भी आसान हो जाएगा। भारतीय व्यापारियों को भी इसका फ़ायदा होगा, क्योंकि वे ब्रिटेन को ज़्यादा सामान बेच पाएँगे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा, “भारत के साथ हमारा बड़ा व्यापार समझौता ब्रिटेन के लिए एक बड़ी जीत है। इससे ब्रिटेन में हज़ारों नौकरियाँ पैदा होंगी, व्यापार के नए अवसर पैदा होंगे और देश के हर कोने में विकास होगा। इससे बदलाव की हमारी योजना पूरी होगी।”
व्यापार के इतर और क्या?
यह समझौता सिर्फ़ व्यापार तक ही सीमित नहीं रहेगा। 2035 के लिए बन रही नई योजना में दोनों देश साथ मिलकर प्रगति करेंगे, नई चीज़ें खोजेंगे और अपनी सेना को भी मज़बूत करेंगे। इसके लिए एक नया रक्षा औद्योगिक रोडमैप बनाया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि भारत और ब्रिटेन ने बातचीत के दौरान एक-दूसरे की राजनीतिक संवेदनशीलता का सम्मान किया है।

