Udaygiri-himgiri Warship: भारत अपनी तीनों सेनाओं की ताकत में तेजी से इजाफा कर रहा है। अब इसी क्रम में अलग-अलग शिपयार्ड में निर्मित दो उन्नत श्रेणी के युद्धपोत आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होंगे। खास बात यह है कि भारतीय नौसेना के इतिहास में पहली बार एक साथ दो युद्धपोत देश के जंगी बेड़े में शामिल हो रहे हैं।
मंगलवार को विशाखापत्तनम में एक सैन्य समारोह में इन दोनों युद्धपोतों को नौसेना में शामिल किया जाएगा। इनके शामिल होने से समुद्र में भारत की ताकत में काफी इजाफा होगा।
दोनों ही युद्धपोत फ्रिगेट्स हैं और नौसेना के प्रोजेक्ट 17A का हिस्सा हैं। बता दें कि मझगांव डॉकयार्ड ने उदयगिरी को तैयार किया है तो वहीं गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता ने हिमगिरी को तैयार किया है। दिलचस्प बात ये है कि उदयगिरी भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया 100वां जहाज है।
उदयगिरी और हिमगिरी सुपरसोनिक मिसाइलों से है लैस
रिपोर्ट के अनुसार, उदयगिरि और हिमगिरि सुपरसोनिक मिसाइलों से लैस हैं। इनमें सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और 76 मिमी मध्यम दूरी की तोप सहित 30 मिमी और 12.7 मिमी की क्लोज-इन हथियार प्रणालियाँ शामिल हैं। इसके अलावा, पनडुब्बी रोधी और पानी के नीचे मार करने वाली हथियार प्रणालियाँ भी शामिल हैं।
इन दोनों युद्धपोतों की खास बात यह है कि लगभग 6,700 टन विस्थापन वाले ये प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट अपने पूर्ववर्ती शिवालिक-श्रेणी के फ्रिगेट से लगभग पाँच प्रतिशत बड़े हैं, फिर भी इनका डिज़ाइन कॉम्पैक्ट है और रडार क्रॉस-सेक्शन कम किया गया है। ऐसे में, इन दोनों को स्टील्थ युद्धपोतों की श्रेणी में रखा जा सकता है।
इसके अलावा, ये संयुक्त डीजल या गैस (CODOG) प्रणोदन संयंत्रों द्वारा संचालित होते हैं, जो डीजल इंजन और गैस टर्बाइनों के साथ नियंत्रणीय-पिच प्रोपेलर चलाते हैं और एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली द्वारा नियंत्रित होते हैं।
तेजी से बढ़ रही नौसेना की ताकत
उदयगिरि और हिमगिरि के अलावा, इस वर्ष नौसेना में कई युद्धपोत और पनडुब्बियाँ शामिल हुई हैं। इनमें आईएनएस सूरत (विध्वंसक), आईएनएस नीलगिरि (फ्रिगेट), पनडुब्बी रोधी जलयान आईएनएस अर्नाला, चालक सहायक पोत आईएनएस निस्तार और आईएनएस वाग्शीर पनडुब्बी शामिल हैं। यह आँकड़ा जहाज़ डिज़ाइन और निर्माण में आत्मनिर्भरता के प्रति नौसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके अलावा, यह रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल की सफलता को भी रेखांकित करता है।

