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क्या आप जानते हैं कि ट्रेन के कोच का रंग अलग क्यों होता है और उनका मतलब क्या है?

Train Facts : आज के समय में हर कोई ट्रेन से ट्रेवल करता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन के डिब्बों के रंग अलग क्यों होते हैं. अगर नहीं तो आइए हम आपको बताते हैं.

Published by sanskritij jaipuria

Train Facts : आज के समय ऐसा है कि बच्चे से बच्चा जानता है ट्रेन के बारे में. हर कोई ट्रेन से यात्रा करता है और अगर ट्रेवल नहीं भी किया होगा तो फिल्मों में या कहीं पर तो ट्रेन देखी होगी. ऐसे में बहुत से लोगों के मन में एक सवाल आता है कि ट्रेन के कोच अलग-अलग रंग के क्यों होते हैं. कुछ डिब्बे लाल रंग के होते हैं, कुछ नीले, तो कुछ हरे भी दिखते हैं. आखिर इन रंगों का क्या मतलब होता है? आइए जानते हैं इसके पीछे की खास वजह.

ट्रेन लोगों के आने-जानें का एक शानदार ऑप्शन है और साथ ही ये एक आर्थिक और सामाजिक प्रगति में भी बड़ा रोल निभाता है. यात्रियों को बेहतर एक्सपीरिएंस देने के लिए रेलवे लगातार अपने कोचों और सुविधाओं में बदलाव करता रहता है.

कोच के रंग क्यों होते हैं अलग?

ट्रेन के डिब्बों के अलग-अलग रंग सिर्फ सजावट के लिए नहीं होते, बल्कि ये कोच के प्रकार को दिखाते हैं. इससे रेलवे कर्मचारियों और यात्रियों दोनों को कोच की पहचान करने में आसानी होती है.

लाल रंग के डिब्बे

लाल रंग के कोच आमतौर पर LHB (Linke Hofmann Busch) कोच होते हैं. ये कोच जर्मनी से भारत लाए गए थे और अब ये भारत में ही बनाए जाते हैं, खासकर कपूरथला की रेल कोच फैक्ट्री में. ये कोच स्टेनलेस स्टील के बने होते हैं और काफी हल्के होते हैं, जिससे ये तेज गति से चल सकते हैं – 160 से 200 किमी/घंटा तक. राजधानी, शताब्दी और दूरंतो जैसी तेज ट्रेनों में इन्हीं कोचों का इस्तेमाल होता है.

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नीले रंग के डिब्बे

नीले रंग के डिब्बे पुराने ICF (Integral Coach Factory) डिजाइन के होते हैं. इनका निर्माण चेन्नई स्थित फैक्ट्री में होता है. ये कोच मेल, एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों में आमतौर पर देखे जाते हैं. हालांकि अब रेलवे इनकी जगह धीरे-धीरे LHB कोचों को देने की योजना बना रहा है क्योंकि ICF कोच उतने सुरक्षित और तेज नहीं होते.

हरे और भूरे रंग के डिब्बे

हरे रंग के कोच आमतौर पर गरीब रथ ट्रेनों में होते हैं, जो कम किराए में एसी सुविधा देती हैं. वहीं, भूरे रंग के डिब्बे पुराने मीटर गेज ट्रेनों में देखे जाते थे, जो अब काफी हद तक बंद हो चुकी हैं.

भारतीय रेलवे सिर्फ रंग ही नहीं बदल रहा, बल्कि यात्रियों के एक्सपीरिएंस को बेहतर बनाने के लिए कई सुविधाएं भी जोड़ रहा है. जैसे – बायो टॉयलेट, मोबाइल चार्जर, आरामदायक सीटें और आधुनिक शौचालय. कोचों का नया लुक और रंग यात्रियों को साफ-सुथरा माहौल देने की दिशा में एक अहम कदम है.

sanskritij jaipuria

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