दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार विस्फोट की जाँच अब नए मोड़ पर पहुँच गई है. गुरुवार को यह मामला फरीदाबाद के अल-फ़लाह विश्वविद्यालय के संस्थापक और प्रबंध न्यासी जावेद अहमद सिद्दीकी तक जा पहुँचा. सूत्रों के मुताबिक, सिद्दीकी पर नज़र इसलिए गई है क्योंकि विश्वविद्यालय ने तीन मुख्य संदिग्धों में से दो शाहीन सईद और मुज़म्मिल शकील को नौकरी पर रखा था. प्रवर्तन निदेशालय (ED) पहले से ही विश्वविद्यालय की फंडिंग के स्रोतों की जाँच कर रहा है, लेकिन अब एजेंसियों का ध्यान सिद्दीकी के व्यापक कारोबारी नेटवर्क, अल-फ़लाह चैरिटेबल ट्रस्ट, और उनके खिलाफ दर्ज एक पुराने धोखाधड़ी व फर्जी दस्तावेज़ों से जुड़े केस की ओर भी बढ़ गया है.
कौन है जावेद अहमद सिद्दीकी?
मध्य प्रदेश के महू में जन्मे जावेद अहमद सिद्दीकी का नाम अल-फ़लाह चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ी नौ कंपनियों के नेटवर्क से गहराई से जुड़ा हुआ है. ये कंपनियाँ शिक्षा, सॉफ्टवेयर, वित्त, और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में फैली हुई हैं. दिलचस्प बात यह है कि इन कंपनियों का अधिकतर पंजीकृत पता दिल्ली के जामिया नगर स्थित अल-फ़लाह हाउस ही है. जिसे अब जाँच एजेंसियाँ “संभावित जोखिम बिंदु” के रूप में देख रही हैं.
इन नौ कंपनियों में शामिल हैं:
- अल-फ़लाह इन्वेस्टमेंट (स्थापना: 1992)
- अल-फ़लाह मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन – जहाँ डॉ. सईद और शकील काम करते थे और जहाँ कथित तौर पर 32 कारों पर सीरियल बम धमाकों की योजना पर चर्चा हुई थी
- अल-फ़लाह डेवलपर्स प्रा. लि.
- अल-फ़लाह इंडस्ट्रियल रिसर्च फाउंडेशन
- अल-फ़लाह एजुकेशन सर्विस प्रा. लि.
- एमजेएच डेवलपर्स प्रा. लि.
- अल-फ़लाह सॉफ्टवेयर प्रा. लि.
- अल-फ़लाह एनर्जीज प्रा. लि.
- तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन
इनमें से ज्यादातर कंपनियाँ 2019 तक सक्रिय रहीं, उसके बाद या तो बंद हो गईं या निष्क्रिय घोषित कर दी गईं. हालाँकि, अल-फ़लाह मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन आज भी संचालित है. जिसकी शुरुआत 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी और अब यह 78 एकड़ में फैले परिसर में कार्यरत है. यह संस्थान इस समय NAAC की समीक्षा प्रक्रिया में भी शामिल है. इसी जामिया नगर की इमारत में अल-फ़लाह चैरिटेबल ट्रस्ट का मुख्यालय भी स्थित है.

