आंखें बंद पर हौसला बुलंद! हिमाचल की ‘ब्लाइंड गर्ल’ छोंजिन अंगमो ने छू लिया माउंट एवरेस्ट

छोंजिन अंगमो ( Chonjin Angmo) ने माउंट एवरेस्ट फतह (Mount Everest Peak) कर इतिहास रच दिया है. वह भारत की पहली दृष्टिहीन महिला (Blind Women) हैं जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराया. उनकी यह उपलब्धि लाखों लोगों के लिए अब प्रेरणा बन गई है.

Published by DARSHNA DEEP

Brave Story of a blind women Chojin Angmo: वो कहते हैं न हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती है. ये कहावत ठीक हिमाचल प्रदेश की रहने वालीं आदिवासी युवती छोंजिन अंगमो पर बिल्कुल ठीक बैठती है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, वो इसलिए क्योंकि उन्होंने माउंट एवरेस्ट को छूकर इतिहास रच दिया है. वे ऐसा करने वालीं भारत की पहली दृष्टिहीन महिला बनीं हैं. तो आइए जानते हैं उनकी इस हिम्मत भरी कहानी के बारे में. 

छोंजिन अंगमो ने रचा इतिहास:

हिमाचल प्रदेश  से निकली आदिवासी युवती छोंजिन अंगमो ने इतिहास रच दिया है. सिर्फ 8 साल की उम्र में उन्होंने अपनी दृष्टि खो दी थी. छोंजिन अंगमो अब भारत की पहली दृष्टिहीन महिला बन गई हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया की  सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया है. उनकी इस उपलब्धि के बारे में हर कोई उनकी सरहाना करने में जुटा हुआ है. सोशल मीडिया पर भी हर कोई उनके इस जज्बे  और हौसले की लगातार सलामी कर रहा है. छोंजिन हिमाचल प्रदेश की हंगरांग वैली से आती हैं. दृष्टि खोने के बाद भी उन्होंने इस हादसे को जीवन का अंत नहीं माना, बल्कि इसे एक नई शुरुआत की तरह देखा. लद्दाख के महाबोधि रेजिडेंशियल स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान उन्होंने एहसास किया कि सीमाएं सिर्फ और सिर्फ हमारे दिमाग में ही होती है. जिनको तोड़कर हमें बाहर निकलना चाहिए. 

छोंजिन ने साहस की मिसाल की पेश:

छोंजिन ने यह साबित कर दिया की अगर आपके अंदर आत्मविश्वास है तो आप ऐसा कोई काम नहीं है जो आप नहीं कर सकते हैं. माउंटेनियरिंग से पहले उन्होंने साइक्लिंग में भी अपनी हिस्सा लिया था. उन्होंने देश की सबसे कठिन सड़कों में से एक मनाली से खारदुंग ला तक की चुनौतीपूर्ण यात्रा को पूरी की थी. इतना ही नहीं, उन्होंने नीलगिरी, स्पीति और किन्नौर के मुश्किल रास्तों पर भी साइकिल चला चुकी हैं. 

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पहाड़ों की दुनिया में रखा कदम:

साइक्लिंग करने के बाद छोंजिन ने माउंटेनियरिंग की दुनिया में अपना पहला कदम रखा. उन्होंने माउंट कानमो पीक, कांग यात्से 2 और लद्दाख की 6 हजार मीटर की चोटियों को सफलतापूर्वक पूरा किया था. उनकी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक साल 2021 में सियाचिन ग्लेशियर पर विकलांगों की टीम में अकेली महिला के रूप में चढ़ाई करना था, जिससे वह सफलतापूर्वक कर सकीं और अंत में उन्होंने इतिहास रच दिया. 

एवरेस्ट फतह पर रचा इतिहास:

29 साल की उम्र में, पायनियर एक्सपीडिशन्स की मदद से छोंजिन अंगमो ने माउंट एवरेस्ट को फतह कर भारतीय तिरंगा फहराया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने कहा कि “मेरा दृष्टिहीन होना मेरी कमजोरी नहीं बल्कि यह मेरी ताकत है.”

छोंजिन अंगमो से लेना चाहिए प्रेरणा:

छोंजिन अंगमो की कहानी उन लोगों के लिए खास तौर से प्रेरणा है जो पहले ही हार मानने की कोशिश करते हैं. उनकी कहानी यह सिखाती है कि अगर आपका हौसला बुलंद है तो आप दुनिया में हर तरह की बाधाओं को पार करके आगे बढ़ सकते हैं और अपनी मंज़िल पर भी पहुंच सकते हैं. 

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