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अनूपगढ़ से पाकिस्तान जा रहे लाखों क्यूसेक पानी पर रोक ,आंदोलन की हुई आहट ?

किसानों ने नहर निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करने की भी मांग की,

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 अनूपगढ़ से विकाश पारीख की रिपोर्ट:इंदिरा गांधी नहर परियोजना (आईजीएनपी) और गंगनहर में पानी की कमी को लेकर अनूपगढ़ क्षेत्र के किसानों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। किसानों ने सोमवार को एडीएम अशोक सांगवा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।

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किसानों की मुख्य मांगें

किसानों ने मांग रखी है कि आईजीएनपी प्रथम चरण के चार समूहों में से कम से कम दो समूहों को तुरंत सिंचाई पानी उपलब्ध कराया जाए। इसके साथ ही पोंग डैम को पूरी क्षमता तक भरने, गंगनहर में शेयर के अनुसार पानी देने और अजमेर जेल समझौते को लागू करते हुए प्रथम चरण का 58% पानी रिजर्व करने की आवश्यकता बताई गई।किसान नेता राजू जाट ने बताया कि पोंग डैम में लगातार बारिश से लाखों क्यूसेक पानी उपलब्ध है, लेकिन यह पानी पाकिस्तान भेजा जा रहा है, जबकि राजस्थान के अनेक इलाके सिंचाई पानी के अभाव में सूखे जैसे हालात झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान नहर में पर्याप्त पानी होने के बावजूद आईजीएनपी प्रथम चरण के केवल एक समूह को ही सिंचाई का पानी दिया जा रहा है। इससे हजारों किसान प्रभावित हो रहे हैं और उनकी फसलें सूखने की कगार पर हैं।

नहर निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करने की भी मांग

इसके अलावा, किसानों ने नहर निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि वर्षों से अधूरा पड़ा निर्माण कार्य किसानों की परेशानी और बढ़ा रहा है। साथ ही मूंग की सरकारी खरीद के लिए ऑनलाइन पोर्टल शुरू करने की भी मांग रखी गई, ताकि किसानों को अपनी उपज का उचित दाम मिल सके और बिचौलियों की भूमिका खत्म हो।

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किसान नेताओं की चेतावनी

किसान नेता राजू जाट ने कहा, “हम केवल अपने हिस्से का पानी चाहते हैं। यदि सरकार ने जल्द ही हमारी मांगें पूरी नहीं कीं तो हमें आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।”
वहीं किसान नेता सुनील गोदारा ने कहा, “राजस्थान किसान पानी के लिए तरस रहे हैं और सरकार पाकिस्तान को लाखों क्यूसेक पानी भेज रही है। यह हमारी मेहनत और हक़ के सा केथ अन्याय है।”

आंदोलन की आहट

किसानों का कहना है कि वे लंबे समय से शांति और संवाद के माध्यम से अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन लगातार अनदेखी से उनका धैर्य टूट रहा है। यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो प्रदेश स्तर पर बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।

गौरतलब है कि इस समय मूंग, कपास और अन्य खरीफ फसलें पानी के अभाव में झुलस रही हैं। किसान मानते हैं कि अगर तुरंत पानी की आपूर्ति नहीं हुई तो उनकी मेहनत और लागत पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी।

किसानों के आक्रोश और चेतावनी से साफ है कि आने वाले दिनों में अनूपगढ़ और आसपास के इलाकों में बड़ा जन आंदोलन देखने को मिल सकता है।

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