Categories: देश

Allahabad High Court: अब बहाने नहीं चलेंगे! हाईकोर्ट ने पत्नी की मेंटेनेंस डिमांड पर लगाई लगाम, फैसला सुन रह गई हैरान

Allahabad High Court: मेरठ के एक मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक बेहद अहम फैसला सुनाया है जो शादीशुदा जोड़ों के बीच मेंटेनेंस यानी भरण-पोषण के विवादों से जुड़ा है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि यदि पत्नी बिना किसी ठोस कारण के अपने पति से अलग रह रही है, तो वह भरण-पोषण की हकदार नहीं मानी जा सकती।

Published by

Allahabad High Court: मेरठ के एक मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक बेहद अहम फैसला सुनाया है जो शादीशुदा जोड़ों के बीच मेंटेनेंस यानी भरण-पोषण के विवादों से जुड़ा है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि यदि पत्नी बिना किसी ठोस कारण के अपने पति से अलग रह रही है, तो वह भरण-पोषण की हकदार नहीं मानी जा सकती। मेरठ के एक मामले को लेकर कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है, जहां एक महिला ने फैमिली कोर्ट से अपने पति से मेंटेनेंस की मांग की थी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि पति हर महीने पत्नी को ₹5,000 और बच्चे को ₹3,000 भरण-पोषण के रूप में दे। लेकिन पति विपुल अग्रवाल इस फैसले से संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी।

क्या कहा हाईकोर्ट ने?

जस्टिस सुभाष चंद्र शर्मा की एकल पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की और मेरठ की फैमिली कोर्ट के 17 फरवरी 2025 के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि CRPC की धारा 125(4) के तहत, यदि पत्नी बिना किसी वाजिब वजह के पति से अलग रह रही है, तो वह मेंटेनेंस की हकदार नहीं हो सकती, हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि फैमिली कोर्ट ने खुद यह माना था कि महिला के पास पति से अलग रहने का कोई पुख्ता कारण नहीं है। फिर भी भरण-पोषण की राशि तय कर दी गई, जो कि कानून और तर्क दोनों के खिलाफ है।

Related Post

दोनों पक्षों की दलीलें

पति के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि फैमिली कोर्ट का फैसला एकतरफा था और उसमें पति की आमदनी का ठीक से आकलन नहीं किया गया। वहीं, पत्नी के वकील और राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि महिला पति की उपेक्षा के चलते अलग रह रही थी। वहीं, हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट का फैसला तथ्यों के खिलाफ और परस्पर विरोधाभासी है। कोर्ट ने कहा कि इस कारण से मामले को फिर से सुनवाई के लिए फैमिली कोर्ट में भेजा जा रहा है। जब तक नई सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक पति को अंतरिम रूप से पत्नी को ₹3,000 और बच्चे को ₹2,000 प्रति माह देना होगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला उन मामलों के लिए एक मिसाल बनेगा, जहां बिना किसी मजबूत वजह के पत्नी मेंटेनेंस की मांग करती हैं। कोर्ट ने साफ संदेश दिया है कि भरण-पोषण का हक तभी मिलेगा जब उसके पीछे ठोस कारण हो। यह निर्णय ना सिर्फ कानून की मर्यादा को बनाए रखता है, बल्कि रिश्तों की पारदर्शिता और न्याय की भावना को भी मजबूत करता है।

Maharashtra Controversy: मराठी नहीं आती तो क्यों बोलूं?, पवन सिंह का महाराष्ट्र विवाद पर बवालिया बयान, सोशल मीडिया पर मचा हंगामा

भारत को था मुस्लिम राष्ट्र बनाने का सपना, छांगुर बाबा के इस करीबी शख्स ने किया चौंकाने वाला खुलासा, जान पैरों तले जमीन खिसक जाएगी

Published by

Recent Posts

The Girlfriend Movie OTT Release: कॉलेज लाइफ शुरू करने से पहले ज़रूर देखें ये फ़िल्म! वरना कर सकते हैं बहुत बड़ी गलती

कॉलेज लाइफ में कदम रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए एक ज़रूरी फ़िल्म ‘The Girlfriend’. प्यार,…

December 5, 2025

भगवान का पैसा खाकर मोटे हो रहे थे बैंक? सुप्रीम कोर्ट ने मारा करारा तमाचा! जानिए क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि मंदिर का पैसा सिर्फ देवता का है. जिसके…

December 5, 2025

World Dirtiest Cities: तेल, धुआं और गंदगी…ये हैं दुनिया के 5 सबसे गंदे शहर! लिस्ट में टॉप पर है इस देश की राजधानी

World Pollution Ranking Cities: इन शहरों में प्रशासन की उदासीनता, औद्योगिक कचरे का गलत प्रबंधन…

December 5, 2025