हिमाचल प्रदेश से अनुराग शर्मा की रिपोर्ट
Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, बर्फ से ढकी चोटियों और पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है। परंतु हाल के वर्षों में लगातार हो रही भारी बारिश और भू-स्खलनों ने यहां की सड़कों और बुनियादी ढांचे की पोल खोल दी है। राज्य का अधिकांश भूभाग पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों से घिरा हुआ है, जहां लोगों की आवाजाही का एकमात्र सहारा सड़कें ही हैं। लेकिन जब ये सड़कें बारिश और भूस्खलन से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो स्थानीय लोगों का जीवन मानो थम सा जाता है। कुल्लू जिला के सराज और बंजार क्षेत्र इसका ताज़ा उदाहरण हैं, जहां जनता टूटे रास्तों और अधूरे पुलों के कारण भारी मुश्किलें झेल रही है।
पुल निर्माण की मांग
सराज क्षेत्र की गुरान और मुराह पंचायतों में जगह-जगह भूस्खलन से सड़कें टूट चुकी हैं। सबसे गंभीर स्थिति घिरड़ा खडड पर बनी है, जहां पुल न होने से ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर खडड पार करना पड़ रहा है। पानी का बहाव तेज होने के कारण इसे पार करना बेहद खतरनाक हो गया है। ग्रामीण मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए सीढ़ियों और अस्थायी साधनों का सहारा ले रहे हैं। यह स्थिति न केवल कठिन है बल्कि किसी बड़े हादसे का कारण भी बन सकती है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से यहां पुल निर्माण की मांग की जा रही है, लेकिन प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
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सड़क की तुरंत मरम्मत की जाए और स्थायी समाधान निकाला जाए – ग्रामीण
दूसरी ओर, बंजार उपमंडल के मंगलौर के समीप बाहुगी गांव में नेशनल हाइवे-305 धंसने से लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सड़क पर दरारें आने और धंसने से वाहनों की आवाजाही बाधित हो गई है। यह वही मार्ग है जिस पर रोजाना सैकड़ों वाहन गुजरते हैं। अब इस मार्ग से गुजरना लोगों के लिए खतरनाक बन चुका है। स्कूली बच्चों को स्कूल और मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में भारी कठिनाइयाँ आ रही हैं। ग्रामीणों ने एनएच प्राधिकरण और प्रशासन से मांग की है कि सड़क की तुरंत मरम्मत की जाए और स्थायी समाधान निकाला जाए।
मरम्मत कार्य का आश्वासन दिया
हालांकि एनएच प्राधिकरण की टीम ने मौके का निरीक्षण कर मरम्मत कार्य का आश्वासन दिया है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि केवल आश्वासनों से काम नहीं चलेगा। जब तक स्थायी समाधान नहीं होगा, तब तक उनकी जान हमेशा खतरे में रहेगी। सराज और बंजार के हालात ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हिमाचल का सड़क ढांचा लगातार प्राकृतिक आपदाओं से जूझने के लिए तैयार है या फिर हर साल जनता को इसी तरह की मुसीबतें झेलनी पड़ेंगी।

