अनुराग शर्मा की रिपोर्ट, Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) का मुख्यालय शिमला से धर्मशाला स्थानांतरित करने के फैसले के विरोध में शिमला में पर्यटन कारोबार से जुड़े सैकड़ों लोगों ने गुरुवार को उपायुक्त कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन शिमला पर्यटन बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित किया गया, जिसमें होटल व्यवसायी, होम स्टे संचालक, बीएंडबी, रेस्तरां मालिक, टुअर एंड ट्रेवल संचालक, टैक्सी ऑपरेटर, घोड़े–याक वाले, प्रैम संचालक, गाइड, मजदूर, कुली, हस्तशिल्पी, दुकानदार और किसान तक शामिल रहे। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अपना यह निर्णय वापस नहीं लिया तो 25 अगस्त को विधानसभा के बाहर विशाल रैली आयोजित की जाएगी।
कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए गाइड एंड टुअर एंड ट्रेवल एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश व्यास, सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, ज्वाइंट एक्शन कमेटी हिमाचल प्रदेश चेयरमैन राजेंद्र ठाकुर, रविदास सभा अध्यक्ष कर्मचंद भाटिया, ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन प्रदेशाध्यक्ष बलबीर राणा, शिमला नागरिक सभा अध्यक्ष जगमोहन ठाकुर व सचिव विवेक कश्यप सहित कई नेताओं ने कहा कि पर्यटन निगम का मुख्यालय शिमला से हटाना न केवल जनता विरोधी, बल्कि पर्यटन और निगम कर्मचारियों के लिए भी हानिकारक है। नेताओं ने कहा कि शिमला पिछले दो सौ वर्षों से अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर एक प्रमुख पर्यटन नगरी के रूप में पहचान रखता है। प्रदेश में पर्यटन से होने वाले राजस्व का बड़ा हिस्सा शिमला से ही आता है। ऐसे में निगम कार्यालय का स्थानांतरण पर्यटन उद्योग, लाखों रोजगारों और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
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उन्होंने यह भी कहा कि निगम का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स मुख्य रूप से शिमला स्थित सचिवालय से संचालित होता है, जिसमें मुख्य सचिव, पर्यटन सचिव, वित्त सचिव, निदेशक पर्यटन और मुख्यमंत्री तक शामिल रहते हैं। ऐसे में कार्यालय को सैकड़ों किलोमीटर दूर धर्मशाला भेजना न तो प्रशासनिक दृष्टि से व्यावहारिक है और न ही आर्थिक दृष्टि से। इससे निगम पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी पड़ेगा। वक्ताओं ने कहा कि पर्यटन निगम कर्मचारियों को सरकार से पेंशन नहीं मिलती और वे शिमला स्थित ईपीएफ दायरे में आते हैं। अब धर्मशाला शिफ्ट होने से उन्हें अपने अधिकारिक कार्यों के लिए सैकड़ों किलोमीटर के चक्कर काटने होंगे, जिससे आर्थिक और समय की हानि होगी। संघर्ष समिति ने सरकार से इस निर्णय को तुरंत निरस्त करने और पर्यटन निगम मुख्यालय को शिमला में ही यथावत रखने की मांग की है।

