भारतीय आयुर्वेद में पिप्पली (Piper Longum) को अमृत समान औषधि माना गया है. प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख चरक संहिता और सुश्रुत संहिता दोनों में मिलता है. आकार में छोटी दिखने वाली यह जड़ी-बूटी शरीर के लिए बड़े लाभ लेकर आती है. इसे न सिर्फ पाचन सुधारक बल्कि शक्तिवर्धक और रसायन औषधि के रूप में भी जाना जाता है.
आयुर्वेद के अनुसार, पिप्पली शरीर के तीनों दोषों- वात, पित्त और कफ को संतुलित करती है. इसका सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है. भूख बढ़ती है और गैस, अपच या भारीपन जैसी समस्याएं दूर होती हैं. यही वजह है कि इसे कई हर्बल काढ़ों और औषधीय चूर्णों में मुख्य घटक के रूप में शामिल किया जाता है.
पिप्पली के प्रमुख फायदे
1. पाचन को सुधारती है: पेट में गैस, बदहजमी या भूख न लगने की समस्या में पिप्पली बेहद प्रभावी मानी जाती है.
2. खांसी-जुकाम में राहत: इसकी गर्म तासीर बलगम को पतला करती है और श्वसन तंत्र को मजबूत बनाती है.
3. इम्युनिटी बढ़ाती है: नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है, जिससे मौसमी संक्रमणों से सुरक्षा मिलती है.
4. शरीर को ऊर्जा देती है: इसे टॉनिक की तरह भी लिया जाता है, जो थकान और कमजोरी को दूर करता है.
5. ब्लड सर्कुलेशन में सुधार: पिप्पली रक्त प्रवाह को संतुलित करती है और शरीर को भीतर से गर्म रखती है.
आयुर्वेदिक डॉक्टर्स बताते हैं कि पिप्पली को सामान्यतः गुनगुने दूध या शहद के साथ लिया जा सकता है. हालांकि, अत्यधिक मात्रा में सेवन से पेट में जलन या पित्त की समस्या हो सकती है, इसलिए इसे हमेशा डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए. छोटी सी लगने वाली यह जड़ी आज भी आयुर्वेदिक औषधियों की रीढ़ मानी जाती है. जो न सिर्फ बीमारियों से बचाती है, बल्कि शरीर को भीतर से मजबूत भी बनाती है.
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