Air pollution Decrease Fertility: वायु प्रदूषण का कहर देश के सभी हिस्सों में बढ़ता ही जा रहा है. जब हवा में खतरनाक कण मौजूद होते हैं, तो वायु की गुणवत्ता खराब हो जाती है, जिससे प्रदूषण होता है. वायु प्रदूषण हमारे फेफड़ों और हृदय के लिए सबसे खतरनाक माना जाता है, लेकिन यह शरीर के हर अंग के लिए हानिकारक है. कई अध्ययनों से पता चला है कि जहरीली हवा पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता को कम कर सकती है. प्रदूषित हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने से लोगों में बांझपन भी हो सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार
न्यूज मेडिकल की एक रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण पुरुष प्रजनन क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. जब पुरुष हानिकारक वायुजनित कणों के संपर्क में आते हैं, तो उनके स्पर्म की गुणवत्ता और स्पर्म की संख्या कम हो जाती है. विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषित हवा सूजन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है, जिससे शुक्राणु उत्पादन कम हो सकता है. इससे नपुंसकता या बांझपन का खतरा बढ़ जाता है. बांझपन दम्पतियों के माता-पिता बनने की संभावनाओं को कम करता है.
महिलाओं के लिए भी नुकसानदायक
जहरीली हवा सिर्फ पुरुष प्रजनन क्षमता को ही प्रभावित नहीं करती है, प्रदूषण के कारण महिलाएं भी बांझपन का शिकार हो सकती हैं. जब महिलाएं प्रदूषित हवा के संपर्क में आती हैं, तो उनके एग्स की क्वालिटी और एग्स काउंट की संख्या कम हो जाती है. कई अध्ययनों से पता चला है कि जहरीली हवा महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है और एग्स के उत्पादन को कम करती है. अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो इससे बांझपन हो सकता है. बांझपन के कारण महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं.
द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार
द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में चीन में वायु प्रदूषण और बांझपन पर एक अध्ययन किया गया था. इससे पता चला कि वायु प्रदूषण बांझपन के खतरे को बढ़ा सकता है. चीन में 18,000 विवाहित लोगों पर किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि उच्च स्तर के महीन कण वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वालों में बांझपन का खतरा 20% अधिक था चीन में औसत प्रदूषण स्तर 57 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि भारत में औसत वायु प्रदूषण लगभग 55 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है. इससे साफ जाहिर है कि प्रदूषण भारत में बांझपन की समस्या को बढ़ा रहा है.

