Election Cash Rules India: चुनाव आयोग (EC) ने सोमवार (6 अक्टूबर) को बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया. बड़ी खबर ये है कि इस बार बिहार में 2 चरणों में चुनाव होगा. पहले चरण में 6 और दूसरे चरण में 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. वहीं 14 नवबंर को वोटों की गिनती होगी. इस एलान के बाद से ही बिहार में चुनावी बिगुल बज गया है. इसके साथ ही सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है और वोटर्स को लुभाने की हर से कोशिश की जाएगी.
लेकिन तारीखों के ऐलान के साथ ही राज्य में आचार संहिता भी लागू हो गई है. इसके चलते नकदी जब्त होने के मामले सामने आए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनाव के दौरान नकदी ज़ब्त करने का अधिकार किसके पास है? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं.
कौन कर सकता है कैश जब्त ?
आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद, स्थानीय पुलिस, चुनाव आयोग की टीमों और विशेष निगरानी टीमों को चुनाव के दौरान नकदी और संदिग्ध सामग्री जब्त करने का अधिकार होता है. इसके अलावा, चुनाव आयोग की टीम आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की जांच के दौरान सामान और नकदी जब्त कर सकती है.
ध्यान दें कि भारत में चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है. इसके बाद, बड़ी मात्रा में नकदी ले जाना प्रतिबंधित होता है. इसलिए, बड़ी मात्रा में नकदी ले जाने वाले किसी भी व्यक्ति को नकदी के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी. ऐसा न करने पर उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है.
आचार संहिता के दौरान कैश रखने की सीमा
आचार संहिता लागू होने के बाद, एक व्यक्ति अधिकतम ₹50,000 नकद रख सकता है. हालांकि इस मामले में स्थानीय अधिकारियों के निर्देश अलग-अलग हैं, लेकिन निर्धारित सीमा से अधिक नकदी रखने वाले किसी भी व्यक्ति से पुलिस या चुनाव आयोग पूछताछ कर सकता है, और अगर कोई ठोस जवाब नहीं मिलता है, तो उसकी राशि जब्त की जा सकती है.
जब्त होने के बाद कहां पर रखा जाता है कैश?
चुनावों के दौरान जब्त की गई नकदी आमतौर पर आयकर विभाग या संबंधित अधिकारियों को सौंप दी जाती है. 10 लाख रुपये या उससे अधिक की कोई भी राशि ज़िला कोषागार में जमा करानी होगी और आयकर नोडल अधिकारी को सूचित करना होगा. चुनाव आचार संहिता के दौरान नकदी के अलावा, शराब और अन्य नशीले पदार्थ भी जब्त किए जाते हैं. ऐसे मामलों में, अधिकारी जब्त की गई अवैध शराब को नष्ट कर देते हैं.
चुनाव में कैश जब्ती के दौरान जान लें अपने अधिकार
यदि चुनाव के दौरान किसी व्यक्ति से नकदी जब्त की जाती है और वह उस धन का दुरुपयोग नहीं कर रहा है, तो वह उस पर दावा कर सकता है. दावा दायर करने के लिए, उसे बैंक रसीदें, एटीएम लेनदेन, बैंक स्टेटमेंट, पासबुक और पहचान पत्र जैसे दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे. यदि कोई व्यक्ति यह साबित कर देता है कि जब्त की गई नकदी कानूनी रूप से अर्जित की गई थी और उसका इस्तेमाल चुनाव को प्रभावित करने के लिए नहीं किया गया था, तो संबंधित विभाग जब्त की गई राशि वापस कर सकता है.
इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति अपना दावा साबित नहीं कर पाता है, तो जब्त की गई नकदी सरकारी खजाने में वापस कर दी जाती है. हालांकि, शादी के मौसम में आम नागरिकों द्वारा नकदी ले जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. चिकित्सा उपचार और व्यावसायिक खर्चो के लिए भी नकदी ली जा सकती है.
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