Why Plastic Chairs Have Holes: हम सभी ने अपने घरों, स्कूलों या ऑफिस में प्लास्टिक की कुर्सियाँ और स्टूल देखे हैं. ये हल्के, सस्ते और हर मौसम में टिकाऊ होते हैं लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि इन कुर्सियों के बीच या सीट के हिस्से में एक या एक से ज़्यादा छोटे-छोटे छेद क्यों बने होते हैं? ज़्यादातर लोग इसे सिर्फ डिज़ाइन का हिस्सा मानते हैं, पर इसके पीछे वैज्ञानिक और व्यावहारिक दोनों कारण छिपे हैं. ये छेद कुर्सी की मजबूती, आराम और सुरक्षा – तीनों से जुड़े होते हैं.
हवा के बैलेंस से बनती है कुर्सी और भी आरामदायक
प्लास्टिक कुर्सियों में बने छेद सबसे पहले बैठने के दौरान हवा के बैलेंस को बनाए रखने का काम करते हैं. अगर कुर्सी में छेद न हों, तो बैठने पर नीचे की ओर हवा फंस जाती है जिससे सीट दब जाती है और कम्फर्ट नहीं महसूस होती है लेकिन छेद होने से हवा आसानी से बाहर निकल जाती है और बैठने में आराम महसूस होता है. साथ ही, गर्मी के मौसम में पसीना भी कम महसूस होता है क्योंकि हवा का आवागमन बना रहता है.
पानी निकलने की सुविधा – बरसात में भी नहीं होती परेशानी
प्लास्टिक स्टूल या कुर्सियाँ अक्सर बाहर या खुले में इस्तेमाल की जाती हैं, जैसे गार्डन, बालकनी या कैफ़े में. ऐसे में जब बारिश होती है, तो अगर कुर्सी में छेद न हों तो पानी उस पर जमा हो जाता है इससे न केवल बैठना मुश्किल होता है बल्कि प्लास्टिक के रंग और बनावट पर भी असर पड़ता है लेकिन इन छेदों के कारण पानी आसानी से नीचे निकल जाता है और कुर्सी जल्दी सूख जाती है, यह छोटा-सा फीचर कुर्सी की उम्र बढ़ाने में बड़ा योगदान देता है.
मजबूती और लचीलेपन का सीक्रेट है यह डिज़ाइन
कई लोगों को लगता है कि छेद होने से कुर्सी कमजोर हो जाती है, लेकिन हकीकत इससे उलट है असल में ये छेद कुर्सी को एक खास तरह का लचीलापन देते हैं जिससे उस पर बैठने पर प्रेशर समान रूप से बंट जाता है. इससे कुर्सी टूटने या क्रैक आने की संभावना कम हो जाती है. खासतौर पर जब कुर्सी प्लास्टिक मोल्डिंग मशीन से बनती है, तो छेद वाली डिज़ाइन उसे स्ट्रक्चरल बैलेंस देती है, यानी ये सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि ताकत बढ़ाने के लिए भी ज़रूरी हिस्सा हैं.

