ताजमहल के 22 कमरों में दफ्न हैं कई राज? एक-एक दरवाजे के पीछे छिपे कई रहस्य

Taj Mahal Mystry: ताजमहल दुनिया का 7 अजूबा है. इसे शाहजहां ने 1632 में मुमताज के लिए बनवाया था. इस मकबरे को प्यार की निशानी भी कहा जाता है. लेकिन इसके अंदर छिपे 22 कमरों का रहस्य काफी दिलचस्प हैं.

Published by Preeti Rajput

Taj Mahal 22 Locked Rooms Mystery: दुनिया में पुरानी इमारतें अपने साथ इतिहास, किस्से, राज और कहानियां समेट कर रखती है. उनकी हर दीवार एक उस गुजरे जमाने का इतिहास बयान करती हैं. दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल (Tajmahal) लेकर भी कई दावे किए जाते रहे हैं. कभी उसके शिव मंदिर होने का दावा किया जाता है, तो कभी उसके भीतर बंद 22 कमरों में छिपे राज के बारे में बात की जाती है. इतिहास के मुताबिक, ताजमहल का निर्माण शाहजहां (Mughal Emperor Shahjahan) ने 1632 में मुमताज के लिए बनवाया था. हालांकि, वह किसकी जमीन पर बना? पहले वहां क्या था? इसको लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठते रहे हैं. 

किसकी जमीन पर बना ताजमहल

इतिहासकार अब्दुल हमीद लाहौरी (Abdul Hamid Lahori) ने अपनी किताब बादशाहनामा (Badshahnama) में इतिहास के बारे में कई जिक्र किए हैं. बता दें कि अब्दुल हमीद लाहौरी मुगल सम्राट शाहजहां का दरबारी इतिहासकार था. उन्होंने अपनी किताब में जिक्र किया है कि- ताजमहल जिस जमीन पर बना है, वह पहले राजपूल राजा जयसिंह की जमीन थी. शाहजहां ने उन्हीं से यह जमीन ताजमहल के निमार्ण के लिए मांगी थी. इस जमीन के बदले में उन्हें आगरा में चार हवेलियां भी दी गई थीं. इसका विवरण 17वीं सदी के ऐतिहासिक दस्तावेजों में भी पाया जाता है. एबा कोच और जाइल्स टिलोट्सन जैसे इतिहासकारों ने भी इस बात की पुष्टि की है. ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1653 में पूरा हुआ. यमुना (Yamuna River) किनारे होने के कारण यह ताजमहल के लिए एकदम परफेक्ट जमीन थी. इसी कारण इसे चुना गया था.

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22 कमरों के भीतर छिपा राज

ताजमहल के भीतर मौजूद 22 कमरों के बारे में हर कोई जानना चाहता है. लोगों का मानना है कि इन कमरों में कई रहस्य बंद हैं. इन सभी कमरों के दरवाजे आजतक बंद है. इन्हें मुगल काल से ही बंद रखा गया था. इन दरवाजों को आखिरी बार 1934 में खोला गया था. उस दौरान निरीक्षण के लिए इन्हें खोलने की इजाजत मिली थी. फिर इन्हें वापस बंद कर दिया गया था. ताजमहल फर्श पर यमुना तरफ दो सीढ़ियां बनी हैं. इनके ऊपर लोहे का जाल बिछा रखा है. पहली मंजिल पर संगमरमर के कमरे हैं. वहीं ऊपरी मंजिल पर जाने वाली 2 सीढ़ियां शाहजहां के समय से बंद करा दी गई थी. इतिहासकारों के मुताबिक, ताजमहल के बेसमेंट में बने कमरे मार्बल के हैं. कहा जाता है कि- अगर इन तहखानों में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है, तो यह कैल्शियम में बदल जाती है. जिसके कारण मार्बल पाउडर के रुप में बदलने लगता है. इसके कारण दीवारों को नुकसान हो सकता है. इसी कारण यह तहखाने बंद किए गए हैं.

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