पहले 24 नहीं बल्कि 6 घंटे का होता था 1 दिन, इस वजह से बढ़ता चला गया समय

Interesting Facts About Earth: नासा के मुताबिक पृथ्वी के शुरूआत में यहां पर 1 दिन 24 घंटे का नहीं बल्कि मात्र 6 घंटे का हुआ करता था.

Published by Shubahm Srivastava

Weird Facts About Earth: जिस पृथ्वी पर हम रहते हैं, उसके बारे में ऐसे कई तथ्य हैं जिन पर आपको यकीन नहीं होगा. हमें स्कूल में पृथ्वी के बारे में बहुत कुछ पढ़ाया जाता है. लेकिन आज, अपनी रिपोर्ट में, हम आपको कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं जो शायद स्कूल की किताबों में भी नहीं पढ़ाया जाता. क्या हो अगर हम आपको बताएं कि जब पृथ्वी बनी थी, एक दिन लगभग 6 घंटे का था यह हम नहीं, बल्कि दुनिया की जानी-मानी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (National Aeronautics and Space Administration) कह रही है.

दुनिया भर की कई अंतरिक्ष एजेंसियां लंबे समय से पृथ्वी के रहस्यों को जानने की कोशिश कर रही हैं. इन्हीं तथ्यों में से एक यह है कि पृथ्वी के शुरुआती दिनों में एक दिन लगभग 6 घंटे का होता था, जो अब 24 घंटे का हो गया है. चलिए इसके बारे में और जानते हैं.

पृथ्वी को लेकर NASA का बड़ा दावा

दिन के छोटे होने के अलावा, नासा ने यह भी दावा किया है कि हर 100 साल में पृथ्वी पर एक दिन 0.0017 सेकंड लंबा हो रहा है. एजेंसी ने इसके पीछे का कारण भी बताया है. नासा की क्लाइमेट किड्स वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, लगभग 4.6 अरब साल पहले जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था, तब एक दिन 24 घंटे का नहीं, बल्कि छह घंटे का होता था. नासा के अनुसार, इसका कारण पृथ्वी की घूर्णन गति है, जो इसके निर्माण के बाद से लगातार कम होती जा रही है.

क्यों धीमी हुई धरती के घुमने की स्पीड?

अब सवाल उठता है: पृथ्वी की घूर्णन गति धीमी क्यों हो रही है? नासा ने भी इस बारे में जानकारी दी है. उनके अनुसार, इसका कारण चंद्रमा है. चंद्रमा से निकलने वाली चंद्र तरंगें पृथ्वी से टकराकर वापस लौटती हैं, जिससे एक ऐसा बल उत्पन्न होता है जो पृथ्वी के घूर्णन को धीमा कर देता है.

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पृथ्वी के बाकी रहस्यों पर एक नजर

पृथ्वी के बारे में हम अक्सर जो सबसे बड़ा सवाल सुनते हैं, वह है, ‘क्या पृथ्वी गोल है?’ लेकिन रिपोर्टों के अनुसार, पृथ्वी गोल नहीं है. भूमध्य रेखा के पास यह लगभग 0.3% चौड़ी है. यह ज़्यादा नहीं है, इसलिए जब आप इसे किसी तस्वीर में देखते हैं, तो यह गोल दिखाई देती है.

नासा का कहना है कि अगर पृथ्वी पूरी तरह से चिकनी और एकसमान होती, तो गुरुत्वाकर्षण हर जगह एक जैसा होता. लेकिन यहां पहाड़, महासागर, घाटियां और विभिन्न भू-भाग हैं. इसलिए, गुरुत्वाकर्षण बल भी जगह-जगह अलग-अलग होता है. इसे ग्रैविटी एनोमेलीज कहते हैं.

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