ओटीटी पर ‘कांड 2010’ सीरीज़: 15 साल पहले कुत्ते के भौंकने से शुरू हुई मिर्चपुर की जातिगत हिंसा की कहानी

हरियाणा के मिर्चपुर गांव (Mirchipur Village) में 2010 में हुई जातिगत हिंसा (Caste Violence) की घटना में एक दलित (Dalit) व्यक्ति और उसकी विकलांग बेटी को जिंदा जला दिया गया था. इस दिल दहला देने वाली घटना (Hear Breaking Incident) ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.

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Haryana Mirchipur Incident: मिर्चपुर जातिगत हिंसा को आखिर कौन नहीं जानता होगा. इस दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इस घटना पर बनी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 20 दिसंबर को रिलीज़ हुई नई सीरीज़ ‘कांड 2010’ हरियाणा के मिर्चपुर गांव में हुई दुखद जातिगत हिंसा की घटना को पूरी तरह से बयां करती है. इस सीरीज़ का मुख्य उद्देश्य समाज में जातिगत भेदभाव और एक समुदाय को न्याय से वंचित किए जाने के मुद्दे को उजागर किया गया है. 

आखिर क्या था हरियाणा का मिर्चपुर कांड?:

यह दिल दहला देने वाली घटना 19 अप्रैल साल 2010 को शुरू हुई थी, जब एक कुत्ते के भौंकने को लेकर दलित और प्रमुख जाट समुदाय के सदस्यों के बीच जमकर विवाद हुआ था. ठीक अगले दिन, स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई.  जाट समुदाय के लगभग 200 लोगों की गुस्साई भीड़ ने दलित बस्ती पर हमला किया, और लोगों के घरों को आग के हवाले कर दिया था. 

दलित और विकलांग बेटी की हुई थी मौत:

इस हमले में 70 साल के दलित व्यक्ति तारा चंद और उनकी 18 साल की  विकलांग बेटी सुमन को उनके ही घर में ज़िंदा जला दिया गया था.  इस दर्दनाक हिंसा के बाद 150 से ज्यादा दलित परिवारों ने डर के मारे गांव छोड़कर भागने पर मजबूर हो गए थे और दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित वाल्मीकि मंदिर में रहने के लिए शरण ली था. इसके अलावा पुलिस प्रशासन इस हिंसा को रोकने में नाकामयाब साबित हुई थी. 

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सियासी और कानूनी लड़ाई में फंसा मिर्चपुर कांड:

यह कांड हरियाणा में एक बड़ा सामाजिक-राजनीतिक मुद्दा बन चुका था. अक्टूबर में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी सत्तारूढ़ बीजेपी ने इस घटना का इस्तेमाल करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (कांग्रेस) की सरकार पर जाट समुदाय का पक्ष लेने और दलितों को न्याय से वंचित करने का गंभीर आरोप भी लगाया था.

हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था आदेश?:

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हिंसा की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी और फिर बाद में मुकदमा दिल्ली में चला था. साल  2011 में ट्रायल कोर्ट ने 15 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 82 को बरी कर दिया था. लेकिन, साल 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस घटना को “जाति-आधारित हिंसा की भयावह अभिव्यक्ति” करार देते हुए कई दोषियों की सज़ा बढ़ा दी, जिसमें कुछ के लिए आजीवन कारावास जैसी सजाएं शामिल हैं.

‘कांड 2010’ पर बनी सीरीज़ का मुख्य उद्देश्य:

‘कांड 2010’ पर बनी सीरीज़ का मुख्य उद्देश्य गांवों में भाईचारा बनाए रखने का संदेश देना था.  इसमें मुख्य किरदार भूल सिंह की भूमिका अभिनेता यशपाल शर्मा ने निभाई है. यह सीरीज़ मिर्चपुर कांड को फिर से चर्चा में लाकर देश भर के दलित अधिकार आंदोलनों के लिए एक महत्वपूर्ण रैली बिंदु बन गया है.

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