सैफ अली खान के बेटे और स्टारकिड के रूप में उभरते सितारे इब्राहिम अली खान इन दिनों चर्चा में हैं। 5 मार्च 2001 को मुंबई में जन्मे इब्राहिम को जन्म के कुछ दिनों बाद ही जॉन्डिस की समस्या हुई। इस बीमारी ने उनके ब्रेनस्टेम को प्रभावित किया, जिसके चलते उनकी सुनने की क्षमता और बोलने दोनों में दिक्कतें हुईं। हालांकि, इसने उन्हें आगे बढ़ने से नहीं रोका, पर स्पीच थेरेपी और कोचिंग की मदद से उन्होंने अपनी आवाज़ सुधारने के लिए बहुत कोशिशें की। आज भी वो रोजाना अभ्यास करते हैं, क्योंकि उनकी स्पीच अभी भी परफेक्ट नहीं है।
2025 में इब्राहिम अली ने फिल्म ‘नादानियां’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया। भले ही फिल्म को मिलाजुला रिस्पॉन्स मिला, लेकिन उनके ब्लेंडेड लुक और स्क्रीन प्रेजेंस ने दर्शकों का ध्यान खींच लिया। सोशल मीडिया पर कुछ आलोचनाएं उनकी आवाज़ को लेकर भी आईं, जिससे ये चर्चा शुरू हुई कि शायद ये डब की गई आवाज़ है। लेकिन, वास्तव में यह स्पीच समस्या की वजह से थी।
सरज़मीन: असली रंग दिखाने का मौका
इब्राहिम अपनी अपकमिंग फिल्म ‘सरज़मीन’ को लेकर सुर्खियों में हैं। डायरेक्टर कयोज़ इरानी ने खुलासा किया कि इस फिल्म की कहानी में रुक-रुक कर बोलने की उसी स्पीच पैटर्न को शामिल किया गया, जिससे इब्राहिम को खुद अपनाने और Vulnerability दिखाने का मौका मिला। इसे उन्होंने खास रूप से इसलिए लिखा ताकि इब्राहिम की असली कहानी स्क्रीन पर जी जा सके।
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संदेश: मेहनत, हौसला और व्यावहारिक संघर्ष
इब्राहिम की कहानी बताती है कि बॉलीवुड की विरासत भले ही मिल जाए, लेकिन अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत चाहिए। बचपन की बीमारी और स्पीच प्रॉबलम ने उन्हें कमजोर नहीं किया, बल्कि वैसा इंसान बनाया जिसने लगातार कोशिशें की और आखिर अपने संघर्ष के दम पर दर्शकों का दिल जीत लिया। फिल्म में इब्राहिम की एक्टिंग को लोग बहुत पसंद कर रहे हैं।

