जो डर गया, वो मर गया….
कितने आदमी थे….
6 गोली और आदमी तीन…बहुत नाइंसाफी है!
यहां से पचास-पचास कोस दूर जब बच्चा रात को रोता है तो मां कहती है सो जा बेटे नहीं तो गब्बर आ जाएगा…
फिल्म ‘शोले’ के ये डायलॉग्स सुनकर जिस शख्स का चेहरा नजरों के सामने आता है, वो अमजद खान हैं. ‘शोले’ में गब्बर सिंह का किरदार निभाकर अमजद खान इतने फेमस हो गए कि आज भी उन्हें उनके असली नाम से ज्यादा लोग गब्बर के नाम से जानते हैं. ऐसा नहीं है कि ‘शोले’ से पहले अमजद खान ने फिल्में नहीं की थीं लेकिन उन्हें देश और दुनिया में नाम और शोहरत कमाने का मौका ‘शोले’ ने ही दिया था. अमजद खान के लिए ‘शोले’ मील का पत्थर जरुर साबित हुई मगर इसमें गब्बर का रोल पाना उनके लिए आसान नहीं रहा था.
डैनी को ऑफर हुआ था रोल
‘शोले’ में गब्बर के रोल के लिए अमजद खान पहली पसंद नहीं थे. ये रोल तो पहले डैनी डेन्जोंपा को ऑफर हुआ था. एक मैगज़ीन पर फिल्म की स्टारकास्ट के साथ गब्बर के तौर पर डैनी की तस्वीर भी छप गई थी लेकिन उसी दौरान डैनी को फिल्म ‘धर्मात्मा’ की शूटिंग के लिए अफगानिस्तान जाना पड़ा और इस वजह से उन्हें ‘शोले’ छोड़नी पड़ गई.
सलीम खान ने सुझाया अमजद खान का नाम
डैनी के फिल्म छोड़ने के बाद ‘शोले’ के मेकर्स के सामने ये संकट खड़ा हो गया कि गब्बर के किरदार में किस एक्टर को लिया जाए? तब राइटर सलीम खान ने जावेद अख्तर को अमजद खान का नाम याद दिलाया जिन्हें उन्होंने दिल्ली में एक प्ले के दौरान देखा था. सलीम और जावेद ने ‘शोले’ के डायरेक्टर रमेश सिप्पी को अमजद खान एक बारे में बताया. शुरुआत में सिप्पी इस बात को लेकर श्योर नहीं थे कि अमजद इस रोल को ठीक से निभा पाएंगे लेकिन काफी कशमकश के बाद उन्होंने अमजद खान को बतौर गब्बर फिल्म में साइन कर लिया. इसके बाद जो हुआ, वो सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया. 1975 में रिलीज हुई फिल्म ‘शोले’ ने सफलता के झंडे गाड़ दिए. 1992 में 52 साल की उम्र में कार्डियक अरेस्ट से उनका निधन हो गया था. उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर में करीब 132 फिल्मों में काम किया था.

