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क्या आर्टिफिशियल बारिश से मिलेगी दिल्ली को प्रदूषण से निजात, कितना आएगा खर्च; यहां जानें पूरी जानकारी

Delhi Artificial Rain News: दिल्ली में कृत्रिम बारिश टली, लेकिन क्यों? क्या वाकई में यह तकनीक कामयाब है? वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. जीपी शर्मा से बातचीत में क्या बताया, जानिए पूरी जानकारी.

Published by Team InKhabar

Delhi Artificial Rain News: दिल्ली में आर्टिफीसियल बारिश कराने का फैसला फिलहाल दिल्ली की सरकार ने अगस्त सितंबर तक टाल दिया है, लेकिन क्या आपने सोचा है की ऐसा क्या हो गया की दिल्ली में आर्टिफिशियल बारिश करने की नौबत आ गयी. दरअसल बात ये है की दिल्ली में बहुत ही ज्यादा प्रदुषण बढ़ता ही चला जा रहा है और बारिश की भी कोई उम्मीद नहीं है, तो सरकार ने सोचा था की कृत्रिम वर्षा कराएंगे ताकि प्रदुषण काम हो जाये,दिल्ली में कृत्रिम बारिश करने के लिए रेखा गुप्ता सरकार इस योजना पर करीब 3.21 करोड़ खर्च करने जा रही थी.लेकिन फिलहाल के लिए उसे रोक दिया गया है.

आर्टिफिशियल बारिश क्या है?

आर्टिफिशियल बारिश या कृत्रिम वर्षा का नाम सुनते ही अक्सर हमारे मन में सवाल उठते हैं कि आखिर यह क्या है और इसे क्यों किया जाता है. आपको बता दें की यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से रासायनिक पदार्थ जैसे सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड को बादलों में छोड़ा जाता है ताकि जलवाष्प संघनित होकर वर्षा का रूप ले. इसे क्लाउड सीडिंग कहा जाता है. इसका उपयोग सूखे क्षेत्रों में पानी की कमी दूर करने, प्रदूषण घटाने और कृषि में सिंचाई के लिए किया जाता है.

वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. जीपी शर्मा से बातचीत और प्रक्रिया

स्काईमेट वेदर प्राइवेट लिमिटेड के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. जीपी शर्मा से बातचीत में पता चला कि यह एक जटिल और वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो मौसम को प्रभावित करने के उद्देश्य से की जाती है. डॉ. शर्मा के अनुसार कृत्रिम वर्षा का आधार क्लाउड सीडिंग तकनीक है. इसमें सबसे पहले आवश्यक है कि बादल मौजूद हों जिनमें नमी हो इन बादलों में खास केमिकल्स का स्प्रे किया जाता है, जिससे बूंदें आपस में मिलकर बड़े आकार की हो जाती हैं. जब ये बूंदें बहुत भारी हो जाती हैं, तो वे बारिश के रूप में जमीन पर गिरने लगती हैं. इस प्रक्रिया में हवाओं की दिशा और गति का भी ध्यान रखा जाता है, ताकि केमिकल सही दिशा में जाए और बारिश का माकूल समय और स्थान तय किया जा सके.

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कृत्रिम बारिश का उद्देश्य और महत्व

डॉ. शर्मा ने बताया कि इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य प्रदूषण को कम करना है. दिल्ली जैसे बड़े शहर में खासकर सितंबर से जनवरी के बीच प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक होता है, इस समय कृत्रिम बारिश कर प्रदूषण को नियंत्रित करने की योजना बनती है, हालांकि अभी तक इस प्रक्रिया का सफलता का स्तर अपेक्षाकृत कम रहा है, इसलिए सरकार ने इसे अभी तक जरूरी नहीं समझा है.

कब और क्यों की जाती है कृत्रिम बारिश?

यह प्रक्रिया विशेष रूप से पोस्ट मानसून के दौरान की जाती है जब बादल मौजूद होते हैं लेकिन बारिश नहीं हो पाती, इस समय पानी की उपलब्धता बढ़ाने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कृत्रिम वर्षा कराई जाती है. आने वाले समय में सरकार इसे अगस्त या सितंबर में कराने की योजना बना रही है, ताकि बारिश का प्रभाव और अधिक प्रभावी हो सके.

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