DUSU Election: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में ABVP का दबदबा रहा. DUSU अध्यक्ष आर्यन मान ने जीत दर्ज की है. सचिव और संयुक्त सचिव पद भी ABVP की झोली में गया है. उपाध्यक्ष पद पर NSUI के राहुल झांसला को जीत हासिल हुई है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ (DUSU) चुनाव में एबीवीपी (ABVP)ने अध्यक्ष समेत तीन पदों पर बाजी मार ली है. आर्यन मान डूसू प्रेसीडेंट (DUSU President) का चुनाव जीत गए हैं. उन्होंने जोसलिन नंदिता चौधरी को करारी मात दी है.
कौन हैं ABVP के उम्मीदवार आर्यन मान
ABVP के उम्मीदवार आर्यन मान हरियाणा के बहादुरगढ़ के रहने वाले हैं. उन्होंने हंसराज कॉलेज (Hansraj) से स्नातक (Graduate) की पढ़ाई की है और वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) से पुस्तकालय विज्ञान (Library Science) में स्नातकोत्तर (Postgraduate) कर रहे हैं. फीस वृद्धि (Fee Increase) के खिलाफ अभियान और विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे में सुधार की पहल में उनकी भागीदारी रही है.
जोस्लिन नंदिता चौधरी NSUI
NSUI की जोस्लिन नंदिता चौधरी जोधपुर, राजस्थान से हैं और एक किसान परिवार से आती हैं. वह 2019 से दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रा रही हैं. वह बौद्ध अध्ययन (Buddhist Studies) में परास्नातक (Masters)कर रही हैं. उन्होंने अपनी चुनावी रणनीति में छात्र-केंद्रित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया, जैसे कि छात्रावासों की कमी, अधिक पढ़ने के स्थानों की मांग, साफ-सुथरे शौचालय, परिसर की सुरक्षा और 12 दिनों की मासिक धर्म अवकाश नीति.
कौन हैं अंजलि SFI-AISA
अध्यक्ष पद के लिए SFI-AISA गठबंधन की तरफ से अंजलि भी मैदान में शामिल हैं. वह बिहार के गया जिले के ताजपुर गांव से हैं और इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज (Indraprastha Women’s College) की छात्रा हैं. अंजलि ने पिछले सालों में कई छात्र आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई है, जिनमें 2022 में डीयू (DU) को फिर से खोलने का आंदोलन, महिला छात्रावासों के लिए अभियान और आईपीसीडब्ल्यू (IPCW) उत्सव के दौरान हुए विरोध प्रदर्शन शामिल हैं.
मतदान दो चरणों में हुआ था: सुबह 8:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक दिन की कक्षाओं के लिए और दोपहर 3 बजे से शाम 7:30 बजे तक शाम की कक्षाओं के लिए. इस बार चुनावों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला. लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों के तहत एंटी-डीफेसमेंट नियमों को सख्ती से लागू किया गया, जिसके कारण विश्वविद्यालय के कॉलेजों और हॉस्टलों की दीवारों पर पोस्टर और नारे नहीं लगाए गए.

