Bihar Election 2025: कल इलेक्शन कमिशन ने बिहार चुनाव की डेट का एलान कर किया. बिहार में दो चरणों में मतदान दोंगे पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा. वहीं दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा, परिणाम का एलान 14 नवंबर को होगा.चुनाव के लिए तैयारियां जोरो शोरो से चल रहा है. चुनावों के तारिखों के एलान के बाद गठबंधनों को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं. हर खेमा एक अहम वोट बैंक हासिल करने की कोशिश कर रहा है.
यादव और मुस्लिम समीकरण
बिहार में 18% मुस्लिम वोट हैं वहीं 14% यादव वोट है जिसकी चर्चा हमेशा होती रहती है. यादव और मुस्लिम समीकरण पर चुनाव लड़ने वाली RJD 2005 के बाद से अपने दम पर सत्ता में नहीं आ पाई है. ऐसा इसलिए है क्योंकि वह यादव और मुस्लिम समीकरण से आगे नहीं बढ़ पाई है.
EBC वोटों पर नीतीश कुमार का कब्ज़ा
वहीं नीतीश कुमार और भाजपा के पास गैर-यादव ओबीसी छिटकता रहा है. इसके अलावा जब नीतीश कुमार ने ओबीसी को बांटकर ईबीसी वर्ग बनाया तो उनकी रणनीति और भी कारगर साबित हुई. यादव और मुस्लिम वर्चस्व के विपरीत अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के मतदाता उनके साथ खड़े दिखाई दिए. इस वर्ग का एक हिस्सा भाजपा के साथ है जबकि सवर्ण जातियां एकजुट होकर भगवा खेमे को वोट देती रही हैं. खास बात यह है कि यह अति पिछड़ा वर्ग राजद के महागठबंधन से बड़ा और एकजुट है. आंकड़ों के अनुसार राज्य में अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की संख्या 36% है. यह संख्या राज्य का सबसे बड़ा मतदाता वर्ग है, जिस पर नीतीश कुमार का कब्ज़ा है.
अति पिछड़ा वर्ग (EBC) क्या हैं?
अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) सामाजिक और शैक्षणिक रूप से वंचित जातियों को कहते हैं जो सामान्य अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की तुलना में अधिक हाशिए पर हैं. अति पिछड़ा वर्ग अक्सर शिक्षा, राजनीतिक प्रतिनिधित्व, आर्थिक अवसर और बुनियादी सामाजिक सेवाओं तक पहुंच से वंचित रहता है. अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की तरह एक अलग संवैधानिक श्रेणी नहीं है. ये आमतौर पर ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी के अंतर्गत एक उप-समूह हैं, जिसे ओबीसी में सबसे वंचित जातियों की पहचान के लिए बनाया गया है.
इस वर्ग में कुल 112 जातियां आती हैं.ओबीसी और अनुसूचित जाति के बीच आने वाले इस समुदाय की ऐतिहासिक रूप से राजनीतिक उपस्थिति और पहचान कमज़ोर रही है. इसलिए जब नीतीश कुमार ने यादवों का दामन छोड़कर कुर्मी, कोइरी, कुशवाहा और अन्य अति पिछड़ा वर्ग समुदायों को एकजुट किया तो यह वर्ग मुखर हो गया. कुछ मुस्लिम जातियां भी इस वर्ग में आती हैं, और अगर उन्हें छोड़ भी दें, तो भी यह संख्या 26% ही रहती है.
नीतीश कुमार ने पंचायतों में इस वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान किया है. वे सीट आवंटन में भी इसका ध्यान रखते हैं. इसलिए माना जा रहा है कि भाजपा का सवर्ण वोट, नीतीश का अति पिछड़ा वोट, चिराग पासवान का दलित वोट और जीतन राम मांझी का महादलित वोट मिलकर एनडीए को बड़ी ताकत दे सकते हैं. हालांकि प्रशांत किशोर ही एक्स-फैक्टर होंगे. हर किसी की दिलचस्पी यह जानने में होगी कि किस वर्ग को कितने वोट मिलते हैं.

