Ram Vilas Paswan Life Family Politics Career: रामविलास पासवान का जिक्र किए बिना बिहार की राजनीति पर चर्चा अधूरी रहेगी. बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने प्रतिष्ठित डीएसपी की सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा. इसके बाद राजनीति में ऊंचाइयां छूते रहे. उन्होंने अपनी राजनीतिक क्षमता के दम पर कई बार केंद्रीय मंत्री का पद हासिल किया और अपनी जिम्मेदारी को सफलतापूर्वक निभाया भी. रामविलास पासवान को राजनीति का मौसम विज्ञानी कहा जाता था, क्योंकि वो सत्ता का सही अनुमान लगाकर सही समय पर गठबंधन करते थे. यही वजह है कि रामविलास पासवान ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) में सत्ता में रहते हुए केंद्रीय मंत्री का पद पाया. बिहार की खुर्दरी जमीन पर राजनीति करके कामयाब होने वाले रामविलास पासवान ने पिछलग्गू बनने की बजाय जरूरत पड़ने पर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव से दूरी बनाकर नया राजनीतिक दल भी बनाया. उसी राजनीतिक दल लोक जन शक्ति पार्टी की अगुवाई राम विलास के पुत्र चिराग पासवान कर रहे हैं. इस स्टोरी में हम बात करेंगे राम विलास पासवान के प्यार, शादी और उनकी निजी जिंदगी के बारे में.
राम विलास पासवान जेल जाने का दिलचस्प किस्सा (Interesting story of Ram Vilas Paswan going to jail)
5 जुलाई, 1946 को बिहार के खगड़िया जिले के शहरबन्नी गांव में जन्में राम विलास पासवान को विरासत में कुछ नहीं मिला. उन्होंने सबकुछ लड़कर हासिल किया. उन्होंने संघर्षों से बहुत कुछ सीखा और आजीवन राजनीति में अपनी गरिमा को बनाए रहे. दलित परिवार में जन्में रामविलास के पिता जामुन पासवान किसान थे, जबकि मां सिया देवी घरेलू महिला थीं. साधारण परिवार से आने वाले रामविलास की पढ़ाई स्थानीय प्राथमिक पाठशाला में हुई. उस दौर में गांव के आसपास स्कूल नहीं होते थे. स्कूल बहुत दूर था, लेकिन मुश्किलों पर जुनून हावी रहा. यही वजह थी कि वह पढ़ने के लिए रोज नदी पारकर स्कूल जाते थे. राम विलास पासवान में नेतृत्व क्षमता तो थी ही, साथ ही वह अन्याय के खिलाफ किसी से भी भिड़ने के लिए हमेशा तैयार नजर आते थे. कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वह प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को भूमि मुक्ति आंदोलन करते हुए ‘धरती चोरों-धरती छोड़ो’ के नारे के साथ जेल जरूर जाते थे. राजनीति के प्रति उनमें मोह-लगाव था. यह बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि जेल से बाहर आने के लिए कभी जमानत नहीं मांगते थे. वह 14 अक्टूबर से पहले जेल से बाहर आने की कोशिश भी नहीं करते थे. इसका खुलासा उन्होंने खुद किया था. इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. रामविलास पासवान ने एक इंटरव्यू में खुद बताया था कि 14 अक्टूबर को जेल में ठंड का मौसम घोषित होता था. इस दौरान जेल में मौजूद सभी कैदियों को गर्म कपड़ों के रूप में पैंट, शर्ट, कोट और कंबल दिया जाता था. ऐसे में उन्हें ये कपड़े मुफ्त में मिल जाते थे.
राम विलास को नहीं पसंद आई डीएसपी की नौकरी (Ram Vilas did not like the job of DSP)
पढ़ाई में अच्छा होने के चलते परिवार ने भी उन्हें खूब प्रेरित किया. स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा की कड़ी में कोसी कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी कर रहे थे, जिससे नौकरी पाकर वह परिवार की आर्थिक मदद भी कर सकें. मेहनत रंग लाई और वह 1969 में डीएसपी बने. पुलिस की नौकरी में पसंद नहीं आई तो राजनीति में आने का बड़ा फैसला कर लिया. इसकी भी एक वजह है. वर्ष 1969 की बात है. रामविलास ने बिहार लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा पास की और डीएसपी के पद पर सिलेक्ट हो गए. परिवार के लिए बहुत खुशी की बात थी. पिता जामुन पासवान और मां सिया देवी भी चाहती थीं कि बेटा राम विलास सरकारी नौकरी करे और अपना घर बसाए. सरकारी नौकरी ज्वॉइन करने में कुछ समय बचा था, इसलिए अपनी बुआ के घर गढ़पुरा गए थे. यहां पर लोगों ने उन्हें राजनीति में जाने का सुझाव दिया. इसके बाद उनकी दुविधा बढ़ गई. इस बीच उनकी मुलाकात अपने करीबी दोस्त लक्ष्मीनारायण से हुई. उन्होंने अपनी दुविधा उनके समक्ष रखी. लक्ष्मीनारायण ने कहा कि अगर राजनीति में गए और मंत्री बने तो गवर्नमेंट हो और अगर नौकरी की तो गवर्नमेंट के सर्वेंट. रामविलास पासवान को अपने दोस्त लक्ष्मीनारायण की बात समझ में आ गई. इसके बाद उनकी दिशा ही बदल गई. उन्होंने राजनीति में आने का निर्णय लिया.
जेपी आंदोलन में निखरा राम विलास का व्यक्तित्व (Ram Vilas personality blossomed during the JP movement)
केंद्र में सत्तासीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ देशभर में माहौल बन गया था. बिहार में जेपी आंदोलन चरम पर था. यह दौर लोगों में व्यवस्था के प्रति नाराजगी का था. राज्य और केंद्र सरकार दोनों के प्रति बहुत नाराजगी थी. वर्ष 1974 में रामविलास पासवान भी जेपी आंदोलन में शामिल हो गए. 1975 में मीसा कानून के तहत उन्हें जेल भेज दिया गया. 1977 में जेल से रिहा हुए तो राजनीति में रमने का मन हुआ. इसके बाद वह जनता पार्टी से जुड़ गए. इसके बाद उनका राजनीतिक करियर चल पड़ा. पुलिस की नौकरी छोड़ राजनीति में आए रामविलास पासवान ने वर्ष 1969 में कांग्रेस-विरोधी मोर्चा की ओर से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की ओर से चुनावी मैदान में उतर गए. यह भी इत्तेफाक था कि पहली ही बार में विधायक चुने गए. हालांकि, जीत बहुत बड़ी नहीं थी, लेकिन इस जीत ने रामविलास को ऊर्जा जरूर प्रदान की. राजनीति में लगातार तरक्की होती गई. वर्ष 1974 में वे लोकदल के महासचिव बने. वर्ष 1977 में आपाताकाल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने हाजीपुर से चार लाख से अधिक वोटों से जीत की. जो तब वर्ल्ड रिकॉर्ड था, जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ. इसे टूटने में कई साल लगे. हालांकि, यह बहुत बाद में टूटा. बेशक रामविलास पासवान को राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता था. इसका नमूना भी कई बार देखने को मिला. 2014 लोकसभा चुनाव से पहले रामविलास पासवान कांग्रेस के साथ गठजोड़ की कोशिश में थे. लेकिन राहुल गांधी मिलने के लिए तैयार नहीं हुए. तीन महीने तक कोशिश जारी रही, लेकिन कांग्रेस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो रामविलास पासवान ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ओर रुख किया. भारतीय जनता पार्टी (BJP) पहले से ही रामबिलास को अपने पाले में लेने के लिए तैयार थी. इसके बाद यानी 2024 से निधन तक राम विलास मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे.
राजनीति की तरह ही रामविलास की निजी जिंदगी भी रही दिलचस्प (Ram Vilas personal life also interesting)
रामविलास पासवान ने दो शादी कीं, जिनसे उनके चार बच्चे हैं. 1960 में रामविलास ने राजकुमारी देवी से विवाह हुआ. रामविलास ने एक बार इंटरव्यू में कबूला था कि उनकी उम्र इतनी छोटी थी कि उन्हें शादी का मतलब तक नहीं पता था. यह शादी 1981 तक चली. विवाह के समय रामविलास पासवान की उम्र केवल 14 साल थी. 1983 में रामविलास ने पंजाबी हिंदू रीना शर्मा से विवाह किया. यह लव मैरिज थी. रामविलास की रीना से पहली मुलाकात हवाई यात्रा के दौरान हुई थी, जब वह एयर होस्टेस थीं. इसके बाद मुलाकातों का सिलसिला चला और फिर दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया. रामविलास पासवान और रीना से दो बच्चे हुए. राजकुमारी से उषा और आशा नाम की 2 बेटियां हैं, जबकि रीना पासवान से बेटे चिराग पासवान और एक बेटी हैं. रामविलास की लव स्टोरी को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वर्ष 1977 में रामविलास पासवान पहली बार सांसद बने थे. उस समय वाणिज्य मंत्रालय में डिप्टी डायरेक्टर गुरुबचन सिंह अपने साथियों के साथ रामविलास से मुलाकात के लिए पहुंचे. इस दौरान गुरुबचन सिंह के साथ उनकी 19 साल की बेटी रीना (अविनाश कौर) भी थीं. रीना फर्स्ट ईयर में थी और एयर होस्टेस बनना चाहती थीं. मुलाकात का समय 6 बजे निर्धारित था, लेकिन व्यस्तता के चलते रामविलास करीब 8 बजे कमरे में आए. बताया जाता है कि शादीशुदा होने के बावजूद रामविलास देखते ही रीना शर्मा को दिल दे बैठे. उन्होंने अपने प्यार का इजहार भी किया तो अपने बारे में सबकुछ रीना को बता दिया. सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप श्रीवास्तव की किताब ‘रामविलास पासवान: संकल्प, साहस और संघर्ष’ में रीना ने खुलासा किया था कि रामविलास पासवान के लिए उनके मन में प्यार का भाव नहीं था. हां. बहुत ही ईमानदारी के साथ रामविलास ने अपनी शादी के बारे में बता दिया जो बचपन में कर दी गई थी.
सिगरेट, पान और चाय छोड़ दिया रामविलास ने (Ram Vilas gave up cigarettes, paan and tea)
कहा जाता है कि पुरुष की कोई भी बुराई उसकी गर्लफ्रेंड ही छुड़ा सकती है. रामविलास पासवान के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. बिहार से दिल्ली आए रामविलास पासवान को लालू प्रसाद यादव की तरह पान खाने का शौक था. इसके अलावा वह सिगरेट और चाय पीने के भी जबरदस्त शौकीन थे. ‘रामविलास पासवान: संकल्प, साहस और संघर्ष’ में इस प्रसंग का जिक्र है. प्यार में पड़ने के बाद रामविलास और रीना की अक्सर मुलाकातें होती रहीं. ऐसी ही एक मुलाकात के दौरान रीना ने रामविलास पासवान से कहा- ‘शादी से पहले क्या आप सिगरेट छोड़ नहीं सकते?’ फिर क्या था, तपाक से रामविलास ने सिगरेट, चाय और पान नहीं खाने की कसम खा ली. ‘रामविलास पासवान: संकल्प, साहस और संघर्ष’ में रीना के अनुरोध पर रामविलास पासवान ने कहा था- ‘क्यों नहीं? अभी से छोड़ देता हूं.’ बताया जाता है कि रामविलास पासवान ने मरते दम तक पान-सिगरेट को कभी हाथ तक नहीं लगाया. इतना ही नहीं उन्होंने चाय पीना भी छोड़ दिया. रामविलास पासवान और रीना की शादी गुपचुप तरीके से हुई. दिल्ली में हुई इस सादी शादी के बारे में रामविलास ने अपने करीबी दोस्तों को भी नहीं बताया था. इस शादी में छोटे भाई पशुपति पारस और रामचंद्र पासवान शामिल हुए. यह बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि शादी से पहले रीना का नाम अविनाश कौर था, जो अपना नाम बदलकर रीना पासवान कर लिया. रामविलास पासवान रीना को प्यार से ‘बीके’ कहकर बुलाते थे. रीना और रामविलास के बच्चे हैं. पहले बेटी निशा हुई और फिर 1982 में बेटे चिराग का जन्म हुआ.
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