Prashant Kishor News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assebly Election 2025) में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ऐसी सुनामी आई, जिसमें छोटे तो छोटे बड़े (कांग्रस और RJD) राजनीतिक दल भी ‘बह’ गए. NDA की सुनामी में कुछ छोटे दलों ने अपना अच्छा प्रदर्शन किया तो कई राजनीतिक दलों ने पानी भी नहीं मांगा. इसी कड़ी में देश के जाने-माने रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ PK की जनसुराज पार्टी भी रही, जिसका प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा. विधानसभा चुनावों में जन सुराज पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही. करीब-करीब सभी सीटों पर जनसुराज पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.
PK को खुद चुनाव नहीं लड़ने का अफसोस
इस हार के बाद कई दिनों की चुप्पी के बाद प्रशांत किशोर खुद सामने आए और अपना पक्ष रखा. बिहार चुनाव में खाता नहीं खोल पाने वाली जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अब माना है कि उनका चुनाव नहीं लड़ना एक गलती थी. प्रशांत किशोर ने मीडियाकर्मियों के समक्ष कबूल किया है कि उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए था. एक मीडिया चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं करना चाहिए था. इसके साथ ही स्वयं के चुनाव नहीं लड़ने पर भी अफसोस जताया. उन्होंने यह भी बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव में 15-20 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन हासिल हुए सिर्फ 4 प्रतिशत. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि इतने कम वोट मिलना जाहिर सी बात है-विश्लेषण की बात है.
अरविंद केजरीवाल जैसा प्रदर्शन पीके नहीं कर सके बिहार में
गौरतलब है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की तरह ही बिहार चुनाव में जनसुराज पार्टी ने दस्तक दी थी. लोगों को उम्मीद थी कि जनसुराज पार्टी बिहार में अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. प्रशांत किशोर से लोगों को उम्मीद इसलिए भी थी, क्योंकि बतौर रणनीतिकार उन्होंने दिल्ली, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में अपनी स्ट्रेटजी से राजनीतिक दलों को जीत दिलाई थी. इनमें अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं. यहां तक कि जनता दल यू को भी बिहार चुनाव 2025 में जिताने वाले पीके ही थे. ऐसे में लोग मान रहे थे कि वह अपनी पार्टी को अच्छी स्थिति में पहुंचाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
BJP का प्रदर्शन, बनी सबसे बड़ी पार्टी
यहां पर बता दें कि पीके की जनसुराज पार्टी ने बिहार विधानसभा की 243 विधानसभा सीटों में से 238 पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन सफलता किसी भी सीट पर नहीं मिली. इसके उलट NDA ने भारी अंतर से जीत हासिल की. इस चुनाव में BJP को 89 तो JDU को 85 सीटें मिलीं, वहीं राष्ट्रीय जनता दल को सिर्फ 25 सीटों पर संतोष करना पड़ा.

