Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान 6 नवबंर को होना है. इस मतदान से पहले ही जन सुराज के प्रमुख और चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर गंभीर संकट में फंसते दिख रहा है. चुनाव आयोग के रिकॉर्ड से पता चला है कि प्रशांत किशोर का नाम 2 राज्य में है. पश्चिम बंगाल और बिहार की मतदाता सूचि में दर्ज है. रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत किशोर का नाम कोलकाता के 121 कालीघाट रोड पर दर्ज है. यह वही पता है जहां तृणमूल कांग्रेस (TMC) का मुख्यालय स्थित है. यह इलाका बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भवानी निर्वाचन क्षेत्र में आता है.
बिहार में प्रशांत का कहा के मतदाता?
प्रशांत किशोर ने 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी के लिए चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम किया था. वहां उनका मतदात केंद्र सेंट हेलेन स्कूल बी रानीशंकरी लेने के रूप में सूची है. उनका नाम बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव की मतदाता सूची में भी दर्ज है. यह प्रशांत किशोर का पैतृक गांव है. जो सासाराम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत करगहर विधानसभा क्षेत्र में आता है. यहां उनका मतदान केंद्र मध्य विद्यालय कोनार है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 17 के तहत कोई भी व्यक्ति एक से ज़्यादा निर्वाचन क्षेत्रों में पंजीकृत नहीं हो सकता. धारा 18 में यह भी कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति एक ही निर्वाचन क्षेत्र में दो बार मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हो सकता. अगर कोई मतदाता अपना निवास स्थान बदलता है तो उसे पुराने निर्वाचन क्षेत्र से अपना नाम हटाने के लिए फ़ॉर्म 8 भरना होगा.
पीके अभी तक क्यों चुप?
अख़बार के अनुसार, प्रशांत किशोर ने खुद इस विवाद पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. लेकिन उनकी टीम के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि “बंगाल चुनाव के बाद प्रशांत किशोर ने बिहार में वोटर कार्ड बनवाया था और बंगाल कार्ड रद्द करने के लिए भी आवेदन किया है. हालाकि उन्होंने यह नहीं बताया कि उनका बंगाल से नामांकन रद्द हुआ है या नही. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस मामले में बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने भी कोई टिप्पणी नहीं की.
सीपीएम पहले ही उठा चुकी सवाल
भवानीपुर के वार्ड संख्या 73 की स्थानीय पार्षद और ममता बनर्जी की भाभी कजरी बनर्जी ने कहा कि 121 कालीघाट रोड तृणमूल कांग्रेस का कार्यालय है. किशोर पार्टी के काम से यहां आते थे. मैं यह नहीं कह सकती कि उन्होंने यहीं से अपना वोटर कार्ड बनवाया था या नही.
अब जन सुराज पार्टी क्या करेगी?
इस विवाद ने चुनाव से ठीक पहले प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज की मुश्किल बढ़ा दी है. अगर यह साबित हो जाता है कि उन्होंने जानबूझकर दोनों राज्य में अपना नाम दर्ज कराया है. तो चुनाव आयोग उन्हें अयोग्य घोषित कर सकता है और मामला कानूनी कार्रवाई तक भी पहुंच सकता है.
फिलहाल सबकी निगाहें प्रशांत किशोर के वोटर लिस्ट में नाम को लेकर उठे विवाद पर टिकी है.

