Bihar Election 2025: बिहार के सुपौल जिले में स्थित पिपरा विधानसभा क्षेत्र 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया. इस सीट का क्षेत्रफल 2425 वर्ग किलोमीटर है और इसकी आबादी लगभग 22 लाख से अधिक है. यह सीट सुपौल लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जिसमें कुल छह विधानसभा सीटें शामिल हैं. पिपरा ने अपने इतिहास में तीन बार चुनाव लड़ा है, जिनमें से दो बार जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने जीत हासिल की है, जबकि एक बार राजद का कब्जा रहा है.
कौन-कौन किस पार्टी से चुनाव लड़ेगा
सुपौल जिले में बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें मतदान 11 नवंबर को निर्धारित है. इस चरण के तहत होने वाले मतदान के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 अक्टूबर को पूरी की की जाएगी. इस दौरान जेडीयू उम्मीदवार रामविलास कामत ने अपने नामांकन पत्र दाखिल किए. वहीं पिपरा विधानसभा क्षेत्र से पार्टी जन सुराज ने अपने प्रत्याशी सुबोध यादव को मैदान में उतारा है. इसके अतिरिक्त महागठबंधन की तरफ से माकपा ने राजमंगल प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो इस मुकाबले में शामिल हैं.
2010 में पहली जीत किसकी थी
2010 के चुनाव में जदयू की सुजाता देवी ने जीत हासिल की. उन्होंने लोजपा के दीनबंधु यादव को 14,686 वोटों से हराया. उस समय, सुजाता देवी को 44,883 वोट मिले थे, जबकि दीनबंधु यादव को 30,195 वोट. दिलेश्वर कामैत जो की अब सांसद हैं, तीसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में जदयू की मजबूत पकड़ देखने को मिली.
2015 में राजद का पलड़ा भारी
2015 के चुनाव में राजद के यदुबंश कुमार यादव ने भाजपा के विश्व मोहन कुमार को हराकर जीत दर्ज की. यदुबंश यादव को 85,944 वोट मिले, जबकि भाजपा के विश्व मोहन कुमार को 49,575. उस समय जदयू की सुजाता देवी भाजपा में शामिल हो चुकी थीं, लेकिन इस सीट पर राजद का दबदबा रहा. बसपा के महेंद्र साह भी तीसरे स्थान पर रहे.
2020 का मुकाबला, दो प्रमुख दलों का टक्कर
2020 के चुनाव में जदयू और राजद दोनों ने अपने उम्मीदवार उतारे. जदयू के रामबिलाश कामत ने राजद के विश्व मोहन कुमार को हराया. रामबिलाश को 82,388 वोट मिले, जबकि विश्व मोहन कुमार को 63,143. साथ ही लोजपा की शकुंतला प्रसाद तीसरे स्थान पर रहीं. इस मुकाबले ने दिखाया कि पिपरा सीट पर अभी भी सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच कड़ा संघर्ष जारी है.
आगामी चुनाव का समीकरण और संभावनाएं
बिहार चुनावी माहौल में पिपरा सीट का महत्व बढ़ता जा रहा है. इस बार की स्थिति में स्थानीय मुद्दे, उम्मीदवारों का प्रभाव और दलों की रणनीतियां निर्णायक होंगी. खास बात यह है कि पिछली बार के मुकाबले इस सीट पर वोटों का बंटवारा भिन्न हो सकता है, जिससे चुनावी परिणाम की दिशा बदल सकती है. पिपरा विधानसभा सीट बिहार की राजनीतिक धड़कनों का केंद्र रही है. इसकी ऐतिहासिक परंपरा चुनावी परिणाम और वर्तमान राजनीतिक समीकरण मिलकर आगामी चुनाव के नतीजे तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. हर दल की नजर इस सीट पर टिकी है, क्योंकि जीत का ताज किसके सिर सजेगा, यह तो वक्त ही बताएगा.

