Bihar Assembly Elections 2025: बिहार चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है. जहां पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है. लेकिन इससे ठीक पहले मोकामा में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई है. यह सीट राज्य की सबसे चर्चित सीट बन गई है. जेडीयू (JDU) उम्मीदवार और बाहुबली छवि वाले कद्दावर नेता अनंत सिंह (Anant Singh) की गिरफ्तारी ने न केवल एनडीए (NDA) के रणनीतिक संतुलन को बिगाड़ दिया है, बल्कि पूरे पटना ज़िले में एक नया राजनीतिक भूचाल भी पैदा कर दिया है। दुलारचंद यादव हत्याकांड (Dularchand Yadav murder case) में यह गिरफ्तारी ऐसे समय हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का रोड शो और एनडीए का चुनाव प्रचार अपने चरम पर है.
NDA की छवि को खतरा
वहीं ये भी माना जा रहा है कि छोटे सरकार के नाम से मशहूर अनंत सिंह की गिरफ्तारी की वजह से एनडीए की छवि को खतरा पैदा हो गया है. क्योंकि एनडीए लगातार आरजेडी पर जंगलराज का आरोप लगा कर चुनावी माहौल को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था.
विपक्ष को हो सकता है फायदा
लेकिन बाहुबली अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने विपक्ष को हमला करने का एक नया मौका दे दिया है. इससे एनडीए का नैतिक और राजनीतिक संतुलन दोनों डगमगा गया है. दूसरी ओर इस गिरफ़्तारी से यादव-बहुल इलाकों में जातीय तनाव और बढ़ सकता है. दुलारचंद यादव की हत्या से यादव समुदाय पहले से ही नाराज़ है और यह गुस्सा अब एनडीए के ख़िलाफ़ वोटों में तब्दील हो सकता है.
साथ ही भूमिहार मतदाताओं में अनंत सिंह के प्रति सहानुभूति की लहर भी उभर रही है, जिसका फ़ायदा उन्हें और अन्य भूमिहार उम्मीदवारों को मिल सकता है.
महागठबंधन के लिए एक मौका
माना जा रहा है कि यह महागठबंधन के लिए इस स्थिति का फ़ायदा उठाकर यादव और अल्पसंख्यक समुदायों को पूरी तरह से लुभाने का एक मौक़ा है. हालांकि यादव-बहुल इलाकों में चुनाव लड़ रहे राजद के भूमिहार उम्मीदवार असमंजस की स्थिति में हैं.कुल मिलाकर, मोकामा में यह राजनीतिक उथल-पुथल पूरे बिहार चुनाव की दिशा तय कर सकती है. अब देखना यह है कि अनंत सिंह की गिरफ़्तारी से एनडीए या राजद, भविष्य में किस पार्टी का पलड़ा भारी रहेगा.
पुलिस अधीक्षक (एसपी) समेत 4 अधिकारियों का तबादला, 1 निलंबित
चुनाव आयोग ने दुलार चंद हत्याकांड मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की है. आयोग ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) समेत चार अधिकारियों का तत्काल प्रभाव से तबादला कर दिया है. एक अधिकारी को निलंबित भी किया गया है. यह कार्रवाई चुनाव प्रक्रिया के दौरान लापरवाही और एक संवेदनशील मामले में उचित कार्रवाई न करने के आरोपों के आधार पर की गई है. आयोग ने स्पष्ट किया है कि कानून-व्यवस्था में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. दुलार चंद हत्याकांड ने जिले में सनसनी फैला दी थी और चुनावी माहौल में तनाव पैदा कर दिया था. चुनाव आयोग ने यह फैसला इसलिए गंभीरता से लिया क्योंकि हत्या के बाद विपक्ष लगातार सरकार पर हमला कर रहा था.

