बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के दिन आज पूरे राज्य में मतदान केंद्रों पर हर वर्ग के लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है. युवा हों, बुजुर्ग हों या महिलाएँ, सभी उत्साह और जिम्मेदारी के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग करने पहुँचे हैं. यह बंपर मतदान इस बार कई कारणों से रिकॉर्ड तोड़ सकता है. हम आपको बता रहे हैं 5 बड़ी वजहें, जिनकी वजह से आज बिहार के पहले चरण में मतदान का यह जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है.
1. SIR – फ़र्ज़ी नाम हटे, असली मतदाता मैदान में
पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण है मतदाता सूची की साफ़-सफ़ाई. इस बार चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत मतदाता सूची से लाखों फर्जी और डुप्लिकेट नाम हटा दिए हैं. ज़रा सोचिए: जिन विधानसभा क्षेत्रों में पहले एक लाख मतदाता थे, उनमें से लगभग दस हज़ार हटा दिए गए हैं. अब केवल 90 हज़ार मतदाता बचे हैं. पहले मतदान प्रतिशत की गणना एक लाख मतदाताओं के आधार पर होती थी, लेकिन अब यह 90 हज़ार है. ज़ाहिर है, मतदान प्रतिशत बढ़ेगा.
2. छठ के लिए प्रवासी मतदाताओं का घर लौटना
एक और बड़ा कारण बिहार से प्रवासी मतदाताओं का वापस लौटना है. बिहार के लगभग 2 करोड़ लोग रोज़गार या शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में रहते हैं. इस बार चुनाव दिवाली और छठ जैसे प्रमुख त्योहारों के ठीक बाद होने वाले हैं. लाखों प्रवासी इन त्योहारों के लिए अपने गाँव लौटे थे और अभी तक वापस नहीं लौटे हैं. ये लोग अब घर बैठे वोट डाल सकेंगे, जिससे मतदान प्रतिशत में सीधे तौर पर बढ़ोतरी होना तय है.
3. राज्य सरकारों का समर्थन- कर्मचारियों को मतदान की सुविधा
इस बार कई राज्यों की सरकारों ने अपने कर्मचारियों को बिहार में मतदान करने के लिए विशेष छुट्टी दी है. इसका मतलब है कि कर्मचारी अपने मूल विधानसभा क्षेत्र में जाकर निर्भय होकर मतदान कर सकते हैं. यह पहल मतदान में भागीदारी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है और कुल मतदान प्रतिशत को सीधे बढ़ाएगी.
4. नेताओं के वादे और प्रोत्साहन
राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को वोट देने के लिए आकर्षित करने के लिए बड़े वादे किए हैं. नीतीश कुमार ने पहले महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये जमा कर उनका उत्साह बढ़ाया. तेजस्वी यादव ने वादा किया है कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आई, तो महिलाओं के खातों में सीधे 30,000 रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे. ये वादे मतदाताओं को सक्रिय रूप से मतदान केंद्र तक आने और मत देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
5. कोरोना महामारी
पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान, कोरोना महामारी का प्रकोप था. लाखों लोग महामारी से प्रभावित हुए थे. कई लोग बाहर निकलने से डर रहे थे. ऐसी स्थिति में चुनाव कराना एक महत्वपूर्ण कार्य था. फिर भी, मतदान प्रतिशत लगभग 57.05% रहा. इस बार ऐसा कुछ नहीं है. प्रशासनिक व्यवस्था बेहतर है. इस बार नक्सली तनाव भी नहीं है. इसलिए, मतदान प्रतिशत बढ़ना तय है.

