Bihar Chunav: बिहार वधानसभा चुनाव की सरगर्मी चरम पर है, लालू यादव और नितीश कुमार दोनों ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बिहार की राजनीति के केंद्र बनें हुए हैं. लालू यादव फेनोमिना के बाद जब सत्ता नितीश कुमार को हस्तांतरित हुई तो उसमें उस वर्ग के मतदातों का विशेष और अहन योगदान था जो किसी के समर्थन में नहीं बल्कि केवल लालू यादव के विरुद्ध मतदान करते हैं. विशेष वर्ग का राजद सुप्रीमो लालू यादव पर आरोप रहता है कि लालू राज केवल जंगल राज का प्रतीक बना और वर्ग विशेष को चिन्हित कर उनके दमन के लिए कार्य किया गया.
‘भूरा बाल’ विवाद और इसका राजनितिक अर्थ
‘भूरा बाल’ का राजनितिक अर्थ ‘भू’ से भूमिहार, ‘रा’ से राजपूत, ‘बा’ से ब्राह्मण और ‘ल’ से लाला (वैश्य समाज) माना जाता है, लालू यादव पर आरोप लगते रहे हैं की उन्होंने ‘भूरा बाल’ साफ़ करो जैसा गुप्त अभियान चला के वर्ग विशेष के दमन करने का काम किया. यह दौर 1990 के दशक के चर्चित नारे ‘भूरा बाल साफ करो’ से भी जाना जाता रहा है. बता दें कि बिहार में एक वर्ग विशेष आज भी केवल लालू यादव (राजद) की वापसी को रोकने के लिए एकजुट मतदान करता है.
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आनंद मोहन ने कहा
बिहार में नितीश कुमार की पार्टी ‘जनता दल (यूनाइटेड)’ के वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद आनंद मोहन ने बिहार के मुजफ्फरपुर में रघुवंश-कर्पूरी विचार मंच की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में वर्ग विशेष को किंगमेकर बताते हुए कहा कि ‘भूरा बाल’ ही तय करेगा कि बिहार के सिंहासन पर कौन बैठेगा. समय बदल गया है, लालू यादव एक समय पर यादवों के साथ दलितों और अति पिछड़ों के नेता थे पर अब दलित और अति पिछडा उनके वंशवादी नीतियों और भ्रस्टाचार के कारन अलग हो गया है.
आपको बता दें कि गया जी में राजद द्वारा आयोजित एक राजनितिक कार्यक्रम में राजद के स्थ्यनिया नेता द्वारा सार्वजानिक मंच से ‘भूरा बाल साफ करो’ वाला नारा दोहराने के बाद इस मामले की आग तेज हो गई और वीडियो वायरल हो गया.

